दिल्ली

delhi

ETV Bharat / city

गाजियाबाद में पांच रुपये में सैकड़ों लोग भरते हैं पेट, 10 में लेते हैं तीन दिन की दवाई और एक जोड़ी कपड़े

गाजियाबाद के वसुंधरा सेक्टर-8 में महावीर वाटिका में जनता की रसोई चल रही है जहां लोग सिर्फ पांच रुपये में भरपेट खाना खाते हैं. एक थाली में दाल, चावल, सलाद और हलवा भी शामिल रहता है. खाने के साथ-साथ वाटिका में दस रुपये में अपने मनपसंद कपड़े भी ले सकते हैं.

ghaziabad news
महावीर वाटिका

By

Published : Oct 12, 2022, 8:19 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद : महंगाई के इस दौर में गरीब आदमी के लिए जिंदगी का सफर आसान नहीं है. आज कल के दौर में पांच-दस रुपये भिखारी भी नहीं लेते हैं. वहीं गाजियाबाद में एक ऐसी जगह हैं, जहां पांच रुपये में भरपेट खाना मिलता है. जबकि दस रुपये में चिकित्सा परामर्श के साथ तीन दिन की दवाई और एक जोड़ी कपड़े मिलते हैं. गाजियाबाद के वसुंधरा सेक्टर-8 स्थित महावीर वाटिका (Mahavir Vatika) में आप खुद जाकर इसकी पड़ताल कर सकते हैं.

समाजसेवी नवीन जैन बताते हैं कि 2017 दिसंबर में अचानक मन में ख्याल आया कि एक बड़ा तबका गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करता है. कई जगह पढ़ा था कि जनता रसोइयों (Janta Rasoi) के माध्यम से लोगों का पेट भरा जाता है. मन में ख्याल आया क्यों ना रसोई शुरू की जाए. 1 जनवरी 2018 से रसोई की शुरुआत की. इसके बाद से शनिवार को छोड़ सप्ताह के सभी दिन रसोई गरीबों का पेट भरते हैं.

उन्होंने बताया कि सात लोगों के सहयोग से भगवान महावीर मानव सेवा ट्रस्ट की तरफ जनता रसोई संचालित की जाती है. जनता रसोई के संचालन में जो भी खर्च आता है उसे सातों लोग मिल बांट कर उठाते हैं. वर्तमान में जनता रसोई के मेनू में दाल, चावल, सलाद, रोटी, सब्जी के साथ देसी घी का हलवा शामिल है. जनता रसोई में पांच रुपये में भरपेट खाना मिलता है.

महावीर वाटिका में जनता रसोई

नवीन जैन बताते हैं कि जनता रसोई के संचालन के बाद कपड़े भी मुहैया कराने का ख्याल आया, जिससे गरीबों का काफी भला होगा. इसके बाद एक काउंटर की शुरुआत की गई, जहां कपड़े और किताब भी मिलती हैं. काउंटर पर लोग अपनी पुरानी किताबें और कपड़े जमा कराते हैं. पुरानी किताबों पर जिल्द लगवाकर और कपड़ों को रफू कराने के बाद धुलवाकर- प्रेस कराने के बाद हेंगर में टांग देते हैं. कोई भी व्यक्ति 10 रुपये की सहयोग राशि देने के बाद दो कपड़े ले सकता है. माता-पिता सेवा ट्रस्ट के माध्यम से कपड़ा और किताब बैंक का संचालन हो रहा है.

ये भी पढ़ें :गाजियाबाद में पांच महीने की बच्ची ने खेल-खेल में निगला क्लचर, आपरेशन से बची जान

उन्होंने बताया कि गरीबों के सामने रोटी और कपड़ा के बाद सबसे बड़ी समस्या इलाज की है. दवाइयां काफी महंगी है. ऐसे में गरीब आदमी के लिए इलाज का खर्च उठाना मुश्किल है. परिसर में रिटायर्ड डॉक्टर बैठते हैं. 10 रुपये सहयोग राशि जमा करने के बाद कोई भी व्यक्ति चिकित्सीय परामर्श और तीन दिन की दवा ले सकता है. सरकारी अस्पताल से रिटायर्ड डॉ. जयप्रकाश (MBBS MD) मरीजों को देखते हैं. दिगंबर जैन मंदिर समिति की ओर से दवाई और चिकित्सा परामर्श की सेवा उपलब्ध कराई जाती है.

इतना ही नहीं मोबाइल वैन के माध्यम से हर रविवार को गरीब बस्तियों में जाकर चिकित्सीय परामर्श भी दिया जाता है. यदि किसी को कोई गंभीर बीमारी होती है तो उसको मंदिर समिति के अस्पताल में रेफर कर दिया जाता है. जहां निशुल्क तमाम स्वास्थ संबंधित सेवाएं उपलब्ध कराई जाती है. 10 रुपए की सहयोग राशि इसलिए रखी गई है. ताकि किसी व्यक्ति को यह एहसास न हो कि उसे खाना, दवाइयां या कपड़े दान में मिल रहे हैं. जिससे कि लेने वाले का स्वाभिमान बना रहे.


ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत एप

ABOUT THE AUTHOR

...view details