नई दिल्ली/गाजियाबाद: संयुक्त किसान मोर्चा ने किसान आंदोलन को समाप्त करने की घोषणा कर दी है. जिसके बाद अब गाजीपुर बॉर्डर से भी किसान अपने गांवों को रवाना होना शुरू हो गए हैं. एक साल से ज्यादा चले किसान आंदोलन के दौरान किसान बॉर्डर पर डटे रहे. जिसमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बुजुर्ग किसान भी मौजूद रहे. आंदोलन की समाप्ति के बाद जहां एक ओर अब बॉर्डर पर किसानों ने घर वापसी को लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं तो वहीं कुछ किसान अब घरों को लौटना भी शुरू हो गए हैं.
बुजुर्ग किसान राजपाल सिंह की उम्र तकरीबन 75 साल है. राजपाल सिंह आंदोलन की शुरुआत से ही गाजीपुर बॉर्डर पर मौजूद थे. हालांकि आंदोलन के दौरान कई बार अपने परिवार वालों से मिलने घर भी गए. राजपाल सिंह उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के रहने वाले हैं. 10 किसान मोर्चा द्वारा आंदोलन समाप्ति की घोषणा के बाद राजपाल सिंह गाजीपुर बॉर्डर से अपने गांव के लिए रवाना हुए हैं.
किसानों की वापसी की तैयारी राजपाल सिंह का कहना है कि भले ही सरकार ने किसानों की तमाम मांगे मान ली हैं लेकिन अभी भी हम दुखी हैं. सरकार अगर समय रहते किसानों की मांगे मान ली थी तो 750 किसान आंदोलन के दौरान नहीं मरते. हमें सरकार पर विश्वास है कि जब किसानों की समस्याएं सुलझ पाएगी. यदि राकेश टिकैत एक बार फिर बॉर्डर पर आने का ऐलान करेंगे तो तुरंत किसान गांवों से बॉर्डर की तरफ कूच करेगा. ये भी पढ़ें-Farmers Protest : किसान आंदोलन स्थगित, 11 दिसंबर से घर लौटेंगे आंदोलनकारी
छोटे-छोटे गुटों में किसान अब गाज़ीपुर बार्डर से गांवों को लौटना शुरू हो गए हैं. कई किसान गाड़ियों से वापस लौट रहे हैं जबकि जिन किसानों के पास कोई साधन मौजूद नहीं है. वह रेलवे स्टेशन या बस अड्डों की तरफ कूच कर रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ बॉर्डर पर मौजूद कई किसान टेंट खोलते हुए भी नजर आ रहे हैं.
एक साल बाद आखिर चल दिए अपने घर बीते एक साल से अधिक से जारी किसान आंदोलन अब खत्म हो गया है. सिंघु बॉर्डर पर हुई संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में आंदोलन को समाप्त करने का निर्णय लिया गया है. 11 दिसंबर को किसान आंदोलन के मोर्चों से घर वापसी करेंगे.
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आंदोलन समाप्ति के बाद गाजीपुर बॉर्डर पर उत्साह का माहौल देखने को मिल रहा है. गांवों को वापस लौटने की खुशी किसानों के चेहरे पर साफ नजर आ रही है. एक तरफ जहां किसानों के चेहरे पर घरों को लौटने की खुशी है तो वहीं दूसरी तरफ आंदोलन के दौरान अपनों को खोने का दुख भी है.