नई दिल्ली: कृषि कानून की वापसी, MSP और अन्य मांगों पर सहमति के बाद किसान 11 दिसंबर से अपने घरों का रुख करने लगे हैं. गाजीपुर बॉर्डर से 70 फीसदी किसान अपने घर चले गए हैं, लेकिन बाकी किसानों को राकेश टिकैत के आने का इंतजार है. किसान नेता राकेश टिकैत मंगलवार शाम को ग़ाज़ीपुर बार्डर पहुंचेंगे.
गाजीपुर बॉर्डर पर नेशनल हाईवे के हिस्से पर तकरीबन एक किलोमीटर की दूरी तक किसानों के टेंट लगे हुए थे. जिनमें अधिकतर तराई क्षेत्र के किसान ठहरे हुए थे. कल सुबह तराई क्षेत्र का किसानों का जत्था गाजीपुर बॉर्डर से गांवों के लिए रवाना हो चुका है. ऐसे में हाईवे पर अब चंद्र टेंट लगे हुए नजर आ रहे हैं जिनको भी अब किसानों द्वारा हटाने की कवायद की जा रही है.
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भारतीय किसान यूनियन के युवा दिल्ली एनसीआर अध्यक्ष प्रवीण मलिक ने बताया कि गाजीपुर बॉर्डर से 70 फीसदी टेंट हट चुके हैं. किसानों के घर लौटने का सिलसिला लगातार जारी है. उनका कहना है कि किसानों के जाने से पहले गाजीपुर बॉर्डर को पूरी तरह से साफ करा दिया जाए. राकेश टिकैत कल शाम तक गाज़ीपुर बॉर्डर पहुंचेंगे. हमारा प्रयास है कि 15 दिसंबर को सुबह 9:00 बजे तक बॉर्डर को पूरी तरह से खाली कर घरों वापिस निकल जाए.
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राकेश टिकैत (Farmer Leader Rakesh Tikait) साफ कर चुके हैं कि हम 15 दिसंबर को घर जाएंगे. दरअसल टिकैत का कहना है कि हम सुनिश्चित करेंगे कि मोर्चों पर बैठे किसान सुरक्षित घर वापस लौट जाएं जिसके बाद हम बॉर्डर से गांव को वापसी करेंगे. किसान नेता राकेश टिकैत से जब सवाल किया गया कि आंदोलन समाप्त होने के बाद अब आप क्या करेंगे तो टिकैत का कहना था कि अब पूरे देश में जाएगें और आंदोलन की ट्रेनिंग देंगे. संयुक्त किसान मोर्चा के लाखों लोग किसान आंदोलन के दौरान ट्रेंड हुए हैं. टिकैत ने कहा कि किसान अन्नदाता भी है और फ़ौजदाता भी है. हम देश को अन्न भी देते हैं और फौज भी देते हैं.
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एमएसपी की गारंटी (MSP Guarantee) और अन्य मुद्दों पर सरकार से सकारात्मक आश्वासन मिलने के बाद किसानों ने आंदोलन खत्म करने की घोषणा की थी. किसान नेताओं ने जोर देते हुए कहा था कि आंदोलन खत्म नहीं हुआ है और वह 15 जनवरी को यह देखने के लिए एक बैठक करेंगे कि सरकार ने उनकी मांगें पूरी की है या नहीं.
पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों ने तीन विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले साल 26 नवंबर को दिल्ली की सीमाओं- सिंघू, टिकरी और गाजीपुर में विरोध प्रदर्शन शुरू किया था. संसद ने 29 नवंबर को इन कानूनों को निरस्त कर दिया था, लेकिन किसानों ने अपनी लंबित मांगों को लेकर अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखा.
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