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श्मशान घाट हादसा: मृतकों के परिजनों की मांग, जल्द से जल्द दी जाए सरकारी नौकरी

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Published : Jan 22, 2021, 5:26 PM IST

मुरादनगर श्मशान घाट हादसे के मृतक के परिजनों ने ईटीवी भारत के जरिए कहा कि मृतक ओमकार ने अपना घर कर्जा लेकर बनाया था. ऐसे में सरकार द्वारा दिए गए मुआवजे की आधी राशि कर्जे में जा रही है. इसलिए वह शासन से जल्द से जल्द सरकारी नौकरी की मांग करते हैं. ताकि वो अपने घर-परिवार का गुजारा कर सकें.

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नई दिल्ली/गाजियाबाद: मुरादनगर में 3 जनवरी को श्मशान घाट हादसा हो गया था जिसमें 24 लोगों की जान चली गई थी और उसमें दर्जनभर लोग घायल भी हो गए थे. इसके सरकार ने मृतकों के परिजनों को सरकारी नौकरी, 10 लाख रुपए का मुआवजा और आवास समेत तमाम योजनाएं देने की घोषणा की थी. लेकिन घटना के 2 सप्ताह से अधिक बीत जाने के बावजूद मृतकों के परिजनों का कहना है कि उनको अभी तक सरकारी नौकरी नहीं मिली है. इसलिए वह सरकार से अपील करते हैं कि उनको जल्दी से जल्दी सरकारी नौकरी दी जाए, ताकि कि वे अपना घर संभाल सकें.

'सरकार ने सारी सुविधाएं बंद कर दीं हैं'

'जल्द से जल्द दी जाए सरकारी नौकरी'

इस मामले को लेकर ईटीवी भारत ने मृतकों के परिजनों से बातचीत की. श्मशान घाट हादसे में अपनी जान गवां देने वाले नीरज कुमार की पत्नी ने ईटीवी भारत को बताया कि उनको अब तक सिर्फ 10 लाख रुपए का मुआवजा और बच्चों की मुफ्त पढ़ाई का सर्टिफिकेट मिला है. इसीलिए अब उनको जल्द से जल्द सरकारी नौकरी चाहिए. ताकि वो अपने बच्चों का पेट भर सके.

मृतक नीरज के छोटे भाई भूपेंद्र ने बताया कि शुरुआत में सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओं को अब बंद कर दिया गया है. सिर्फ मेडिकल टीम हेल्थ चेकअप के लिए आती है. जोकि सिर्फ एक फॉर्मेलिटी है. इसके साथ ही सरकार द्वारा दिए गए 10 लाख रुपए भी अधिक दिन तक नहीं चल पाएंगे. इसीलिए वो मांग करते हैं कि सरकार द्वारा सरकारी नौकरी और जो भी सुविधाए दी जानी हैं वो जल्द से जल्द दी जाएं.


'कर्ज चुकाने और शिक्षा में खर्च हो जाएगी मुआवजे की रकम'

इसी हादसे में जान गंवाने वाले ओमकार के छोटे भाई जितेंद्र सिंह का कहना है कि मृतक ओमकार ने ही साढ़े 4 लाख रुपए कर्ज लेकर अपना घर बनाया था. जिसकी वजह से अब मुआवजे में से आधी राशि कर्ज चुकाने में देनी पड़ रही है. इसके साथ ही वह अपने बच्चों को हायर एजुकेशन दिलाना चाहते हैं. जिसके लिए उनको आधी रकम वहां खर्च करनी पड़ेगी. वहीं दूसरी ओर सरकार ने सिर्फ 18 साल की उम्र के बच्चे को मुफ्त शिक्षा दी है. इसीलिए वह सरकार से अपील करते हैं कि बच्चों की हायर शिक्षा का खर्च भी सरकार उठाए.


'घायलों की आर्थिक मदद के लिए राजस्व विभाग से चल रही बातचीत'

इस पूरे मामले में घायलों की आर्थिक सहायता और मृतकों के परिजनों की सरकारी नौकरी को लेकर जब ईटीवी भारत ने मुरादनगर विधायक अजीत पाल त्यागी से फोन पर बातचीत की उन्होंने बताया कि घायलों की आर्थिक सहायता के लिए राजस्व विभाग से बातचीत चल रही है. जल्द ही घायलों को आर्थिक सहायता दी जाएगी और सरकारी नौकरी के बारे में अधिक जानकारी के लिए गाजियाबाद जिलाधिकारी ही बता पाएंगे.

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