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यूपी बोर्ड 10वीं की परीक्षाएं निरस्त, कोरोना ने तोड़े छात्रों के सपने - यूपी बोर्ड परीक्षाएं

कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर से उत्पन्न असाधारण परिस्थितियों को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2021 के लिए निर्धारित उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) की 10वीं कक्षा की परीक्षाएं निरस्त करने का फैसला किया है.

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छात्रों के टूटे सपने

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Published : May 30, 2021, 2:38 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: यूपी बोर्ड 10वीं की परीक्षाएं(board exams) निरस्त किए जाने के बाद स्टूडेंट्स को 11वीं क्लास में प्रमोट किया जा चुका है. वहीं 12वीं की परीक्षाएं अब जुलाई में हो सकती हैं. ऐसे में स्टूडेंट्स पर इसका क्या फर्क पड़ा है, ये जानने के लिए हमने गाजियाबाद में दसवीं और बारहवीं के छात्र छात्राओं से बात की.

यूपी 10 बोर्ड 10वीं की परीक्षाएं निरस्त

हिमांशु को प्रमोट होने की नहीं है खुशी
10वीं से 11वीं में प्रमोट(promote) हुए छात्र हिमांशु का कहना है, की जो हमारा लक्ष्य था,वो पूरा होता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है. क्योंकि जितने अंक मिल सकते थे,वो अब नहीं मिलेंगे. सिर्फ प्रमोट होकर काम चलाना पड़ रहा है। जो पढ़ाई की थी वह अब व्यर्थ लग रही है.




कैसे पूरा करूंगा ड्रीम

वहीं छात्र प्रियांशु का कहना है कि प्रमोट होने के बाद अच्छा नहीं लग रहा है. 11वीं क्लास में जाने की खुशी नहीं है, कॉन्फिडेंस लेवल(confidence level) भी कम हो गया है. 12वीं की तैयारी पर भी इसका नकारात्मक फर्क पड़ेगा. मैं अपना ड्रीम कैसे पूरा करूंगा.

10वीं से 11वीं में प्रमोट हुई छात्रा नेहा का कहना है कि वो पुलिस में जाना चाहती है, और उसके लिए 90 फीसदी अंक चाहिए थे.अब पूरी फीस देने के बाद सिर्फ प्रमोट होकर काम चलाना पड़ेगा.



मनोबल रहा है टूट

उधर 12वीं के छात्र तुषार का कहना है, बार-बार परीक्षा का समय आगे खिसकने से मनोबल टूट रहा है. तुषार ने कहा कि मैं डॉक्टर बनना चाहता हूं. लेकिन इस तरह से सपना पूरा कर पाना बहुत मुश्किल होगा.


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टीचर ने बताई यह बात

इस मामले में हमने टीचर से भी बात की।टीचर का कहना है कि दसवीं क्लास से 11वीं में स्टूडेंट्स को प्रमोट करने पर सकारात्मक और नकारात्मक, दोनों तरह का प्रभाव देखने को मिलेगा. जो बच्चे दिन रात एक कर मेहनत करके पढ़ाई करते हैं. उन पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. हालांकि साधारण पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट को ये सकारात्मक लगेगा. जाहिर है कोरोना ने न जाने कितने सपने तोड़ दिए हैं. जो छात्र छात्राएं सपनों की उड़ान,अपनी मेहनत के पंखों से उड़ने की कोशिश में जुटे थे, फिलहाल उनके हाथ मायूसी लगी है.

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