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गाजियाबाद: कपड़ों पर कढ़ाई और कशीदाकारी करने वाले कारीगरों का ठप हुआ रोजगार - corona virus

कारीगर रईसुद्दीन ने ईटीवी भारत को बताया कि लॉकडाउन में कढ़ाई का काम ना होने के कारण लेबर काम छोड़कर चली गई है. अब बस दुकान पर थोड़ा बहुत रफू या कपड़ों पर पीको करने का काम आता है, जिससे वह अपना गुजारा कर रहे हैं.

Employment of artisans embroidered on clothes stopped in lockdown corona virus
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Published : Jun 16, 2020, 12:40 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: कपड़ों पर कढ़ाई करने वाले कारीगर का कहना है कि लॉकडाउन में शादी न होने से लोग कपड़ों पर कढ़ाई नहीं करवा रहे हैं. इस वजह से उनका रोजगार बंद हो गया है. और अब वो छोटे-मोटे काम करके अपना गुजारा कर रहे हैं.

'लेबर चली गई काम छोड़कर'


कपड़ों पर कढ़ाई और कशीदाकारी का काम करने वाले कारीगर सादे कपड़ों पर शानदार और डिजाइनदार कढ़ाई करके उन्हें खूबसूरत बना कर उनकी कीमत बढ़ा देते हैं. लेकिन इस बार लाॅकडाउन के कारण शादी समारोह नहीं हो पा रहे हैं.

ऐसे में कढ़ाई का काम करने वाले कारीगरों के पास बिल्कुल भी काम नहीं है. इसी को लेकर ईटीवी भारत ने कढ़ाई और कशीदाकारी का काम करने वाले कारीगर से खास बातचीत की.

'लेबर चली गई काम छोड़कर'

कपड़ों पर कढ़ाई और कशीदाकारी का काम करने वाले रईसुद्दीन ने ईटीवी भारत को बताया कि लॉकडाउन की वजह से उनके काम पर फर्क पड़ रहा है. क्योंकि लोग सादगी से ही शादी कर रहे हैं. कपड़ों पर कढ़ाई नहीं करवा रहे हैं.

कारीगर रईसुद्दीन ने बताया कि लॉकडाउन में कढ़ाई का काम ना होने के कारण लेबर काम छोड़कर चली गई है. अब बस दुकान पर थोड़ा बहुत रफू या कपड़ों पर पीको करने का काम आता है, जिससे वह अपना गुजारा कर रहे हैं.

'10% रह गया काम'

इसके साथ ही उन्होंने बताया कि लॉकडाउन से पहले की अगर बात की जाए तो उन दिनों में उनका काम अच्छा होता था. शादियों का सीजन चलता रहता था. लेकिन इस बार लॉकडाउन के कारण लोगों के पास पैसा ना होने से वह खर्च नहीं कर पा रहे हैं. अब ऐसे कपड़ों पर कढ़ाई का 10% काम रह गया है.

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