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'कैसे चलेगा घर, जब 4 महीने में 1 दिन मिला काम', लॉकडाउन में भी काम की तलाश में निकले मजदूर - दिहाड़ी मजदूर

यूपी में कोरोना वायरस पर लगाम लगाने के उद्देश्य से शनिवार और रविवार को लॉकडाउन रखा गया है. ऐसे में दिहाड़ी मजदूरों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है.

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स्पेशल: उत्तर प्रदेश में शनिवार

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Published : Jul 18, 2020, 5:04 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबादः शनिवार और रविवार को लॉकडाउन होने के बावजूद गाजियाबाद के लेबर चौक पर दिहाड़ी मजदूर सुबह 7 बजे से रोजगार की आस में खड़े नजर आए. मजदूरों का कहना है कि वे रोजना कमाते-खाते हैं, ऐसे में लॉकडाउन रहने से भुखमरी की कगार पर आ जाएंगे.

मजदूरों के सामने रोजगार का संकट

बता दें कि यूपी में कोरोना वायरस पर लगाम लगाने के उद्देश्य से शुक्रवार रात 10 बजे से सोमवार सुबह 5 बजे तक लॉकडाउन रखा गया है. जिसमें औद्योगिक गतिविधियां, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बाजार पूर्ण रूप से बंद रहेंगे. ऐसे में दिहाड़ी मजदूरों के सामने अपने परिवार का गुजारा करने का संकट आ गया है.

इसी बीच शनिवार को लॉकडाउन होने के बावजूद मुरादनगर के लेबर चौक पर मजदूर रोजगार की तलाश में खड़े नजर आए. इसी को लेकर ईटीवी भारत ने मजदूरों से बातचीत की. इस दौरान मजदूर महेंद्र ने बताया कि दो दिन लॉकडाउन रहने पर मजदूर अपने बच्चों को कैसे पालेंगे.

लॉकडाउन की वजह से नहीं है काम

ईटीवी भारत को मजदूर राम सिंह ने बताया कि 4 महीने में 1 दिन रोजगार मिला है, अब ऐसे में शनिवार और रविवार को लॉकडाउन होने से उनके बच्चे भूखे मरने की कगार पर आ जाएंगे. मजदूर बाबू ने बताया कि 2 दिन पहले भी लाॅकडाउन रहा है और अब 2 दिन फिर से लॉकडाउन हो गया है, ऐसे में उनके पास काम नहीं है.

काम की आस में खड़े नजर आए मजदूर

ईटीवी भारत को मजदूर मुस्ताक ने बताया कि वे रोजाना कामाते-खाते हैं. अगर वह रोजाना काम नहीं करेंगे, तो अपने बच्चों को कैसे पालेंगे. इसीलिए लॉकडाउन होने के बावजूद काम की आस में सुबह से लेबर चौक पर आए हैं. मजदूर अवनीश गोस्वामी ने बताया कि वह सरकार से चाहते हैं कि सभी मजदूरों का लेबर कार्ड बनाया जाए.

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