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गाजियाबाद: डॉ. के एन मोदी विश्वविद्यालय के डाटा पर साइबर अटैक, हैकर ने मांगे 5 मिलियन डॉलर

गाजियाबाद में साइबर अटैक का ऐसा मामला सामने आया है, जिससे हजारों लोगों का व्यक्तिगत डाटा खतरे में पड़ गया है. यहां के डॉ. के एन मोदी विश्वविद्यालय के डाटा पर साइबर अटैक हुआ है, जिससे न सिर्फ विश्वविद्यालय, बल्कि छात्रों और कर्मचारियों का डाटा हैकर्स के हाथ में चला गया है. मामले में उत्तर प्रदेश साइबर सेल ने जांच शुरू कर दी है.

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Published : Sep 7, 2022, 7:08 AM IST

dr kn modi university ghaziabad
डॉ के एन मोदी विश्वविद्यालय गाजियाबाद

नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद में डॉ. के एन मोदी विश्वविद्यालय और उससे जुड़े संस्थानों का डाटा हैक करके ब्लैकमेल करने का मामला सामने आया है. मामला बेहद चौंकाने वाला है. बताया गया है कि एक विदेशी वायरस से अटैक कर के डाटा को हैक किया गया और ब्लैक मेलिंग के जरिए केएन मोदी फाउंडेशन से 5 मिलियन डॉलर की एक्सटॉर्शन मनी मांगी गई है. सबसे ज्यादा खतरनाक बात यह है कि शिक्षकों और छात्रों के बैंकिंग डाटा पर भी अटैक हुआ है. हालांकि इस संस्थान के इंजीनियर सिस्टम को रिस्टोर करने में जुटे हुए हैं और मामले में एफआईआर भी दर्ज करा दी गई है. साथ ही जांच का जिम्मा यूपी साइबर सेल को सौंपा गया है.

छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों का डाटा असुरक्षित

मामला गाजियाबाद के मोदीनगर इलाके का है. यहां पर केएन मोदी फाउंडेशन शिक्षण संस्थान है, जिसके कुल 8 कॉलेज हैं. इन सभी का डाटा हैक करने का मामला सामने आया है. बताया जा रहा है कि विदेशी वायरस लॉकबिट ब्लैक के माध्यम से डेटाबेस को हैक करके उस पर कब्जा कर लिया गया है. यही नहीं, सारा डाटा लॉक भी कर दिया गया है, जिससे शिक्षण संस्थान उसमें रिकवरी और चेंजेज नहीं कर पा रहा है. ऐसे में अब सब कुछ हैकर के हाथ में चला गया है. किसी भी शिक्षण संस्थान में मौजूद डाटा में छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों का डाटा मौजूद होता है, जिसमें उनके लेनदेन एवं बैंकिंग संबंधी जानकारी भी होती है. अब इन सभी का डाटा असुरक्षित है जिसके बाद हड़कंप मचा हुआ है.

डॉ. के एन मोदी विश्वविद्यालय के डाटा पर साइबर अटैक

मामले में एफआईआर दर्ज

मामले में मोदी नगर थाने में शिकायत दर्ज कराई गई है जिसमें लिखा है कि शैक्षणिक संस्थान होने के कारण हमारे कंप्यूटर सर्वर में छात्रों कर्मचारियों की व्यक्तिगत जानकारी बैंकिंग डाटा वित्तीय लेखा-जोखा और संपूर्ण रिकॉर्ड इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप में रखा जाता है. इसके साथ ही डेटाबेस में छात्रों कर्मचारियों और अन्य विविध प्रकार की व्यक्तिगत तथा गोपनीय जानकारी होती है, लेकिन उसे हैक कर लिया गया है. और तो और, इस तरह के साइबर हमले रोकने के लिए सुरक्षा संबंधित सभी मानक अपनाए हुए हैं एवं एंटीवायरस आदि का भी इस्तेमाल किया गया है लेकिन तमाम उपाय करने के बावजूद 29 अगस्त को सुबह एक बजे और उसके बाद साइबर अटैक किया गया. हमले के कारण सर्वर से सारा डाटा चोरी करने के बाद मिटा दिया गया है और हैकर्स की तरफ से चेतावनी जारी की गई है. यह भी बताया गया है कि लाकबिट ब्लैक वायरस से हमला किया गया है. हैकर्स ने वहां लिखा है कि आपका डाटा चोरी करके एंक्रिप्ट कर दिया गया है. मदद के लिए पुलिस या एफसबीआई के पास ना जाएं और किसी को यह ना बताएं कि हमने आप पर साइबर अटैक किया है. इससे फाइलों को डिक्रिप्ट करने में समस्या होगी, जिससे वह कभी रिस्टोर नहीं हो पाएंगे.

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हैकर ने दी धमकी

साइबर अटैक करने वाले ने धमकी दी है कि इस मामले में किसी बिचौलिए को शामिल ना करें और पुलिस को ना बताएं. साथ ही डाटा लौटाने के एवज में रंगदारी के रूप में 5 मिलियन डॉलर भुगतान करने की मांग करने की है. हैकर ने रंगदारी के रूप में एक ऑफर भी दिया है, जिसमें कहा है कि हम एक मिलियन डॉलर में डील को सेटल कर सकते हैं, लेकिन वह क्रिप्टो करेंसी के जरिए होगी. हैकर्स की ओर से कहा गया है कि अगर भुगतान में आना कानी की गई तो उन्हें गंभीर परिणाम भुगतना होगा और भविष्य में डाटा पर दोबारा अटैक किया जाएगा. इस घटना के बाद पूरे संस्थान में हड़कंप मचा हुआ है. वहीं दूसरी तरफ पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ धारा 507 और सूचना प्रौद्योगिकी संशोधन अधिनियम 2008 की धारा 66c के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है. हालांकि पुलिस को हैकर का कोई भी सुराग नहीं मिला है.

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