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गाजियाबाद: शादी के जश्न और कारोबार की खुशियों पर पड़ा कोरोना का कहर - गाजियाबाद लॉकडाउन

देशव्यापी लॉकडाउन का असर हमारे उत्सवों में रंग भरनेवाले, शादी समारोह में चार चांद लगानेवाले और लग्न उत्सव पर स्वादिष्ट व्यंजन परोसनेवालों का घर सूना पड़ा है. इसी बीच ईटीवी भारत की टीम ने शादी समारोह में टेंट और क्रोकरी का काम करने वाले लोगों से खास बातचीत की.

corona and lockdown effected marriage business in ghaziabad
टेंट और क्रोकरी कारोबार पर पड़ा असर

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Published : May 27, 2020, 8:22 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद:लॉकडाडन के कारण टेंट का काम करने वाले कारोबारियों का साल भर का पूरा सीजन कोरोना ने खत्म कर दिया. इस सीजन में शादियों की रौनक के साथ ही बारात घर, कैटरर्स, टेंट हाउस और बैंडबाजे वालों के अलावा सर्राफा और बर्तन कारोबारियों का करोड़ों का कारोबार भी कोरोना की भेंट चढ़ गया. अब जून की कुछ तिथियों से ही थोड़ी उम्मीद हैं, मगर मौजूदा हालातों को देखते हुए नहीं लग रहा कि बड़ा आयोजन करने की छूट मिलेगी.

लॉकडाउन के चलते टेंट और क्रोकरी कारोबार पर पड़ा असर

सभी सार्वजनिक कार्यक्रम बंद

देशभर में मार्च से लेकर मई का महीना लाॅकडाउन में बीत गया. अगर बात की जाए तो इन दिनों में काफी शादी समारोह होते हैं. खासकर मुस्लिम समुदाय के सबसे बड़े त्यौहार ईद-उल-फितर के बाद मुस्लिम लोग शादी समारोह करते हैं. लेकिन इस बार लाॅकडाउन के कारण किसी भी तरीके के धार्मिक, सांस्कृतिक, शादी समारोह आदि कार्यक्रम प्रतिबंधित किए गए हैं. इस दौरान शादी समारोह में टेंट लगाने का काम करने वाले लोगों के कैसे हालात हैं. इसी को लेकर ईटीवी भारत ने शादी समारोह में टेंट और क्रोकरी का काम करने वाले कारोबारी से खास बातचीत की.

इस बार सब कुछ हुआ बर्बाद

ईटीवी भारत को शादी समारोह में टेंट और क्रोकरी का काम करने वाले दिलशाद ने बताया कि लाॅकडाउन की वजह से उनका काम बंद पड़ा है और उन्होंने जिन लोगों से पैसे उधार लिए हुए हैं. वह उनके पैसे भी नहीं लौटा पा रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि अगर देश में लाॅकडाउन ना होता तो ईद के बाद उनका टेंट का काम बहुत अच्छा चलता है, लेकिन इस बार सब कुछ बर्बाद हो गया है.

कचरी बेचकर कर रहे गुजारा

ईटीवी भारत को शादी समारोह में टेंट लगाने का काम करने वाले कारीगर जमालुद्दीन ने बताया कि लाॅकडाउन की वजह से शादी समारोह बंद हो गए हैं. जिसकी वजह से उनको मजदूरी मिलना बंद हो गई है और वह मजबूरी में लाॅकडाउन के दो महीने से रेहड़ी पर कचरी बेच रहे हैं. जिससे उनके घर परिवार का गुजारा चल रहा है.


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