नई दिल्ली/गाजियाबाद:दिल्ली एनसीआर में घर का सपना देखने वालों की कमी नहीं है. लोग चाहते हैं कि राजाधानी के आस-पास उनका अपना आशियाना हो और इसके लिए वो अपनी जिंदगी भर की कमाई दांव पर लगा देते हैं, लेकिन ऐसा जरूरी नहीं है कि पैसे देने के बाद आपको फ्लैट मिल ही जाए. ऐसा ही एक मामला गाजियाबाद से सामने आया है.
अतिरिक्त आयुक्त आरके सिंह के अनुसार, रचित चावला और 12 अन्य लोगों ने बालाजी बिल्डसर्व प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. ये कंपनी वसुंधरा गाजियाबाद में एक प्रोजेक्ट बना रही थी. अप्रैल 2012 में पीड़ित सचिन दत्ता नामक व्यक्ति से मिला, जिसने इस प्रोजेक्ट में उन्हें रुपये लगाने के लिए कहा. उसने बताया कि इस जमीन पर जल्द ही हाउसिंग प्रोजेक्ट बनने वाला है. सिद्धार्थ नामक बिल्डर ने उन्हें बताया कि 3 साल में यह प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा. उन्होंने इस प्रोजेक्ट के लिए 1.30 करोड़ रुपये जुलाई 2012 से जनवरी 2013 के बीच कंपनी में जमा कराए. अप्रैल 2013 में उन्हें पता चला कि प्रोजेक्ट पर काम नहीं चल रहा है. इस कंपनी ने न तो उन्हें फ्लैट दिया और न ही रुपये लौटाए. इस शिकायत पर वर्ष 2017 में आर्थिक अपराध शाखा ने FIR दर्ज की थी.
बिल्डर के पास नहीं थी जमीन