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आठ साल की उम्र में अभिजीता लिख चुकी हैं तीन किताबें, वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज है नाम - To begin with the Little things)

क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि महज आठ साल की बच्ची किताब लिख दे और उसकी लिखी किताब की तारीफ अंतरराष्ट्रीय मंच पर हो ?... तो जवाब हैं हां. दरअसल, गाजियाबाद की रहने वाली अभिजीता गुप्ता ने ये करिश्मा कर दिखाया है. इसके लिए इस बच्ची ने अपने नाम कई रिकॉर्ड्स भी दर्ज करवाए हैं.

डॉक्टर बन देश की सेवा करना चाहती हैं अभिजीता
डॉक्टर बन देश की सेवा करना चाहती हैं अभिजीता

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Published : Nov 16, 2021, 9:07 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: राष्ट्रकवि स्वर्गीय मैथिलीशरण गुप्त की आठ साल की पड़पोती अभिजीता गुप्ता ने वह कर दिखाया है, जो आम तौर पर किसी व्यक्ति को करने में कई साल लग जाते हैं. गाजियाबाद के इंदिरापुरम इलाके की रहने वाली अभीजीता की उम्र भले ही छोटी है, लेकिन छोटी सी उम्र में उन्होंने लेखिका का खिताब हासिल कर लिया है. अभिजीता गुप्ता आठ साल की हैं. आठ साल की नन्ही सी उम्र में अभिजीता अंग्रेजी की तीन किताबें लिख चुकी है. छोटी सी उम्र में अभिजीता ने दुनिया भर में अपना और देश का नाम रोशन किया है.

पांच साल की उम्र से अभीजीता ने लिखना शुरू किया. उन्होंने एक छोटी सी कहानी लिखी, जिसके बाद उन्हें अंदाजा हुआ कि उन्हें कहानियां लिखना बेहद पसंद है. इसके बाद अभिजीत ने कहानियां लिखनी शुरू कर दी. कोरोना महामारी के चलते स्कूल बंद हो गए. ऐसे में बच्चे घरों में ही कैद हो गए. बाहर का खेलकूद भी बंद हो गया. लॉकडाउन लगने के बाद अभिजीता भी घर मे बोर होने लगी. ऐसे में उन्होंने खुद को व्यस्त रखने के लिए लिखना शुरू किया.

डॉक्टर बन देश की सेवा करना चाहती हैं अभिजीता

अभिजीता ने हैप्पीनेस आल अराउंड (Happiness all around), टू बिगिन विद लिटिल थिंग्स (To begin with the Little things) ओर वी विल षुरेलय सस्टेन (We will surely sustain) किताबें लिखीं. अभिजीता गुप्ता अपना नाम इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स और वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड्स (लंदन) में दर्ज कर चुकी हैं.

अभिजीता बड़े होकर डॉक्टर बन देश की सेवा करना चाहती हैं. अभीजीता बताती है कि लिखना मेरा शौक है. मैं आगे भी किताबें लिखती रहूंगी. जब हमे किसी चीज का शौक होता है तो हमे उसके लिए समय ज़रूर निकालना चाहिए. अभीजीता की हौसला अफजाई करने में उनके माता-पिता का अहम योगदान है. उनके पिता चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं और मां इंजीनियर हैं. अभिजीता के माता-पिता का कहना है कि हर माता-पिता का सपना होता है कि उनके बच्चों के नाम से उन्हें जाना जाए और हमारी अभिजीता ने हमारा ये सपना पूरा कर दिया है.

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