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450 साल पुराने मंदिर में 131 स्वतंत्रता सेनानियों को दी गई थी फांसी, होती है हर मन्नत पूरी - modi nagar

सीकरी कला गांव में एक 450 साल पुराना मंदिर है, नवरात्र में इस मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ रहती है. कहा जाता है यहां मांगी जाने वाली हर मुराद पूरी होती है

450 साल पुराने इस मंदिर में लटकी थी 131 स्वतंत्रता सेनानी की लाशें, होती है हर मन्नत पूरी

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Published : Apr 13, 2019, 2:03 PM IST

Updated : Apr 13, 2019, 3:10 PM IST

दिल्ली/गाजियाबाद: मोदीनगर इलाके के सीकरी कला गांव में एक 450 साल पुराना मंदिर है, नवरात्र में इस मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ रहती है. अष्टमी नवमी के दिन यहां मेला भी लगता है. इस मंदिर की खासियत है कि यहां का इतिहास 1857 की क्रांति से सम्बन्ध रखता है.

450 साल पुराने इस मंदिर में लटकी थी 131 स्वतंत्रता सेनानी की लाशें, होती है हर मन्नत पूरी

बताया जाता है कि यहां एक बरगद के पेड़ पर 131 लोगों को जिंदा फांसी के तख्ते पर लटका दिया गया था. इस मंदिर की मान्यता के बारे में कहा जाता है कि नवरात्रों में यहां जो भी मांगा जाता है. देवी मां मुराद जरूर पूरी करती है.

450 साल पुराना मंदिर

गाजियाबाद से कुछ किलोमीटर दूर मोदीनगर इलाके में सीकरी कला गांव है, यहां पर देवी मां का प्राचीन मंदिर है जो करीब 450 साल पुराना है. हर साल यहां मेला लगता है और इस बार भी चैत्र नवरात्रों में यहां मेला लगा हुआ है. जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. दिल्ली और आसपास ही नहीं, बल्कि देश भर से श्रद्धालु यहां आ रहे हैं.

इस मंदिर की मान्यता बेहद पुरानी है, ये मान्यता 1857 की क्रांति से भी जुड़ी हुई है. मंदिर में एक गुफा है. कहा जाता है कि प्राचीन काल में यहां पर देवी ने प्रकट होकर दर्शन दिए थे और 1857 की क्रांति में क्रांतिकारियों के परिवार भी अपनी जान बचाने के लिए इसी गुफा में छिपे थे.

131 स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी

बताया जाता है कि अंग्रेजों ने 131 क्रांतिकारियों को इसी मंदिर के परिसर में लगे बरगद के पेड़ पर जिंदा फांसी के तख्ते पर लटका दिया था. उसके बाद से इस मंदिर की मान्यता और ज्यादा बढ़ गई. कहा जाता है कि देवी मां ने क्रांतिकारियों के परिवार की रक्षा की थी और देवी मां के आशीर्वाद से ही अंग्रेजों को क्रांतिकारियों ने मार भगाया था.

मंदिर में दिल्ली गुड़गांव मेरठ से आए श्रद्धालुओं ने बताया कि अब तक जो भी मांगा गया है वह पूरा हुआ है. श्रद्धालु बरगद के पेड़ पर जरूर जाते हैं और वहां भी पूजा अर्चना कर रहे हैं. अब तक लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां आ चुके हैं और पूजा-अर्चना करने के बाद लौट रहे हैं.

Last Updated : Apr 13, 2019, 3:10 PM IST

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