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गाजियाबाद: बाबा मुराद गाजी की दरगाह पर नहीं लगेगा 354 वां उर्स मेला, पसरा है सन्नाटा

मुरादनगर के इतिहास में पहली बार मुरादनगर को बसाने वाले बाबा हजरत मुराद गाजी की दरगाह पर 354 वां मेला नहीं लगेगा. ईटीवी भारत को दरगाह के मुतअवली ने बताया कि इस बार मेला नहीं लगने से बड़ा नुकसान होगा.

354th fair will not be held at baba murad ghazi dargah in muradnagar ghaziabad
बाबा मुराद गाजी दरगाह

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Published : Jul 21, 2020, 5:16 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: मुरादनगर को बसाने वाले बाबा हजरत मुराद गाजी की दरगाह पर हर साल हिंदू मुस्लिम एकता का प्रतीक उर्स मेले का आयोजन किया जाता है, जोकि 353 साल से लगातार लगता आ रहा है. लेकिन मुरादनगर के इतिहास में पहली बार वैश्विक महामारी कोरोना वायरस को देखते हुए 354 वां उर्स नहीं लगाने का उर्स कमेटी ने फैसला लिया है. जिसके बाद से जहां मुरादनगर की सड़कें इन दिनों में मेले लगे होने की वजह से गुलजार रहती थी, वहां पर अब सन्नाटा पसरा हुआ है. देखिए ग्राउंड जीरो से ईटीवी भारत की यह रिपोर्ट

बाबा मुराद गाजी दरगाह पर पसरा है सन्नाटा

दरगाह को शानदार तरीके से सजाया जाता था

ईटीवी भारत की टीम हजरत मोहम्मद मुराद गाजी की दरगाह शरीफ पर पहुंची, जहां पर हर साल इन दिनों में हिंदू मुस्लिम एकता के प्रतीक मेले का आयोजन किया जाता था. जिसमें दरगाह को बहुत ही शानदार तरीके से सजाया जाता था और दरगाह के सामने खाने-पीने की दुकानें लगती थी. आसपास के रास्तों पर मनोरंजन के लिए झूले-सर्कस लगाए जाते थे, लेकिन इस बार कोरोना महामारी की वजह से मेले को रद्द कर दिया गया है.

पसरा है सन्नाटा


हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है मेला


ईटीवी भारत को बाबा मुराद गाजी की दरगाह के मुतअवली (केयरटेकर) आरिफ बेग ने बताया कि इस बार हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक मेला लगने से बहुत अधिक नुकसान है. क्योंकि मेला न लगने से मेला लगाने वाले लोगों के साथ उनको भी आर्थिक नुकसान होगा. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के बाद से दरगाह पर कोई भी श्रद्धालु ज्ञात करने के लिए नहीं आ रहा है और अगर बात की जाए तो इन दिनों दरगाह का मेला लगने से बहुत ही शानदार माहौल होता था.


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