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Rapid Rail के साहिबाबाद स्टेशन पर लगेंगे 1100 सोलर पैनल, हर साल पैदा होगा 4 लाख यूनिट बिजली - रैपिड रेल का साहिबाबाद स्टेशन

साहिबाबाद स्‍टेशन में स्टेशन की रूफ शेड बनाने का काम चल रहा है. इस स्टेशन की रूफ शेड पर लगभग 1100 सोलर पैनल लगाए जाएंगे, जिससे लगभग चार लाख यूनिट प्रति वर्ष पैदा होगी.

रैपिड रेल का साहिबाबाद स्टेशन
रैपिड रेल का साहिबाबाद स्टेशन

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Published : Jul 28, 2022, 5:45 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबादः रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) के साहिबाबाद स्टेशन का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है. रैपिड रेल का साहिबाबाद स्टेशन अन्य रैपिड रेल स्टेशनों के मुकाबले काफी अलग होगा. रैपिड रेल साहिबाबाद स्टेशन पर आधुनिक तकनीक से रूफ शेड पर 110 सोलर पैनल लगाए जाएंगे. एनसीआरटीसी के अधिकारियों के मुताबिक रूफ शेड पर लगे 1100 सोलर पैनल से हर साल तकरीबन चार लाख यूनिट बिजली पैदा होगी.

अधिकारियों के मुताबिक, सोलर पैनल से उत्पन्न होने वाली बिजली को स्टेशन की लाइटिंग समेत अन्य विद्युत उपकरणों को संचालित करने में प्रयोग किया जाएगा. इसके साथ ही अगर स्टेशन की क्षमता से अधिक बिजली पैदा होगी तो उसे रैपिड रेल ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर पर अन्य कार्यों में इस्तेमाल किया जाएगा. रूफ शेड पर लगे सोलर पैनल स्टेशन के एएसएस (Auxiliary Substation) के माध्यम से स्टेशन के विभिन्न हिस्सों में विद्युत आपूर्ति की जाएगी.

रैपिड रेल का साहिबाबाद स्टेशन


अधिकारियों के मुताबिक साहिबाबाद स्टेशन की लंबाई 216 मीटर और चौड़ाई 25 मीटर है. इसीलिए स्टेशन की रूफ शेड का आकार भी यही होगा. वर्तमान में स्टेशन की रूफ शेड बनाने के लिए प्लेटफॉर्म लेवल की साइड वॉल्स पर स्ट्रक्चर स्टील के कॉलम लगाने का कार्य लगभग 85 प्रतिशत पूर्ण हो चुका है. स्ट्रक्चर स्टील के कॉलम लगने के बाद रूफ शेड तैयार की जाएगी. इस रूफ शेड में गल्वेनाइज्ड आयरन (जीआई) शीट का प्रयोग किया जाएगा, जो पूरी तरह से जंगरोधक और हर मौसम की मार झेलने में सक्षम होगी. रूफ शेड तैयार होने के बाद स्टेशन अपने वास्तविक स्वरूप में आ जाएगा. इसके साथ ही रूफ शेड पर सोलर पैनल लगाए जाएंगे.


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अधिकारियों के मुताबिक साहिबाबाद से दुहाई के बीच 17 किलोमीटर के प्रायोरिटी सेक्शन को 2023 तक और पूरे कॉरिडोर को 2025 तक चालू करने का लक्ष्य रखा गया है. 82 किलोमीटर के दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर में कुल 25 स्टेशन होंगे. आरआरटीएस मेरठ से दिल्ली तक यात्रा के समय को 60 मिनट से कम कर देगा. दिल्ली- गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर से प्रति वर्ष लगभग दो लाख पचास हजार टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आने का अनुमान है.

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