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गाजियाबाद में सभी प्रत्याशियों की बढ़ी चिंता! 1100 रेजिडेंट ने NOTA दबाने का लिया फैसला

गाजियाबाद लोकसभा सीट पर मुकाबला कांटे का होता जा रहा है।बीजेपी से वीके सिंह और महागठबंधन से सुरेश बंसल के अलावा कांग्रेसी डॉली शर्मा मैदान में हैं।तीनों स्थानीय मुद्दों पर चुनाव लड़ने की बात कह रहे हैं लेकिन इन्ही स्थानीय मुद्दों में कुछ मतदाता ऐसे हैं जिन पर बीते 25 सालों में ध्यान नहीं दिया गया.

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Published : Apr 1, 2019, 1:41 PM IST

Updated : Apr 1, 2019, 8:07 PM IST

गाजियाबाद में 1100 लोगों ने नोटा बटन दबाने का लिया फैसला

नई दिल्ली/गाजियाबाद: लोकसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला है. वहीं नोटा के माध्यम से नेताजी को सबक सिखाने के लिए कई कॉलोनियों एकजुट हो चुकी है. इसी कड़ी में एक पॉश सोसायटी के 1100 रेजिडेंट ने नोटा का बटन दबाने का फैसला किया है.


इतना ही नहीं कॉलोनी के लोगों ने इसके लिए सोसायटी के बाहर नोटिस भी चस्पा कर दिया गया है. कांग्रेस सपा बसपा और भाजपा सभी पार्टियों के नेता को नोटा से जवाब देने की तैयारी है.


कांटे की है टक्कर
गाजियाबाद लोकसभा सीट पर मुकाबला कांटे का होता जा रहा है।बीजेपी से वीके सिंह और महागठबंधन से सुरेश बंसल के अलावा कांग्रेसी डॉली शर्मा मैदान में हैं।तीनों स्थानीय मुद्दों पर चुनाव लड़ने की बात कह रहे हैं लेकिन इन्ही स्थानीय मुद्दों में कुछ मतदाता ऐसे हैं जिन पर बीते 25 सालों में ध्यान नहीं दिया गया.


ऐसी कुछ कॉलोनियां है जो इस बात से नाराज है. इन्हीं में साहिबाबाद की मोहन नगर कॉलोनी में स्थित पार्श्वनाथ सोसायटी है. सोसायटी के गेट पर बोर्ड लगा दिया गया है कि इस बार नोटा का बटन दबाएंगे. इसमें 1100 फ्लैट में 5000 रेज़िडेंट रहते हैं. लोगों का कहना है कि पीने का पानी साफ नहीं आता तो बारिश के मौसम में इलाके में पानी भर जाता है. बीती सरकारों से लेकर वर्तमान की सरकार तक से शिकायत की गई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.

गाजियाबाद में 1100 लोगों ने नोटा बटन दबाने का लिया फैसला


लोगों का कहना है कि एक तरफ प्रदेश और केंद्र में बीजेपी की सरकार है तो वहीं गाजियाबाद में स्थानीय स्तर पर विधायक मेयर और सांसद तक बीजेपी से है, लेकिन उन्होंने कॉलोनी की तरफ ध्यान नहीं दिया है जिससे उनका विश्वास नेताओं से उठ गया है।और अब नेताजी को नोटा से जवाब देंगे. यानी किसी भी नेता को अपना जनप्रतिनिधि नहीं चुनना चाहते.


कॉलोनी में जो भी वोट मांगने आ रहा है लोग अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए नेताजी को नोटा से ठेंगा दिखा रहे हैं. नेताओं को समझना होगा कि जन जन की समस्या का निवारण करने का दावा करने वाले नेता जी 5 साल में एक बार जब आते हैं तो उन्हें विरोध झेलना होगा. अगर नेता जी लगातार जन समस्याओं पर ध्यान देते रहे और कम से कम 5 साल में कॉलोनी में जाकर उनकी समस्याओं को सुनते रहे और उसका निवारण भी करते रहे तो शायद ऐसी स्थिति उत्पन्न ना हो।अगर गाजियाबाद में भारी संख्या में नोटा पर वोट जाता है तो उसका नुकसान सीधे तौर पर बीजेपी को हो सकता है।क्योंकि समीकरण इस तरह के हैं कि कम वोटिंग बीजेपी के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है.

Last Updated : Apr 1, 2019, 8:07 PM IST

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