नई दिल्ली/फरीदाबाद:औद्योगिक नगरी फरीदाबाद में करीब 18 लाख लोग रहते हैं. ये जिला दिल्ली से सटा हुआ है, इसलिए यहां दिल्ली की तरफ आवागमन भी काफी रहता है. फरीदाबाद में दिल्ली से सब्जियों की आपूर्ति भी की जाती है.
दिल्ली की आजादपुर और डबुआ मंडी से ही फरीदाबाद की सब्जी मंडी में सब्जियां पहुंचती हैं, लेकिन लॉकडाउन के बाद दिल्ली से फरीदाबाद का संपर्क टूट गया, ऐसे में फरीदाबाद में सब्जियों का संकट गहरा गया, इसके बावजूद व्यापारियों की मैनेजमेंट और मास्टर प्लानिंग के बदौलत जिले में सब्जियों की कमी नहीं हो पाई.
लॉकडाउन में नहीं हुई सब्जियों की किल्लत लोकल किसानों ने दिया साथ
ईटीवी भारत की टीम ने लॉकडाउन के दौरान सब्जियों की सप्लाई को लेकर फरीदाबाद के व्यापारियों, आढ़तियों और फुटकर विक्रताओं से बातचीत की. इस बातचीत में विजय कुमार नाम के सब्जी आढ़ति ने बताया कि जब लॉकडाउन हुआ और दिल्ली से उनकी कनेक्टिविटी खत्म हो गई तो उनके सामने सब्जी की आपूर्ति को लेकर परेशानी खड़ी हो गई थी, लेकिन उनके पास पहले इतना स्टॉक था कि कुछ दिन सब्जियों की डिमांड की आपूर्ति की.
इसके बाद इस संकट की घड़ी में लोकल किसानों ने भी साथ निभाया. फरीदाबाद के आढ़तियों ने पलवल और मेवात के किसानों से लॉकडाउन में सब्जियों की खरीद की. दिल्ली कनेक्टिविटी खत्म होने के बावजूद हरियाणा के लोकल क्षेत्र में सब्जियों का आदान-प्रदान जारी रखा.
ना दाम बढ़े, ना सब्जियों की कमीं हुई- खरीददार
वहीं सब्जी खरीदारों ने भी इस बात को माना कि लॉकडाउन में उनको सब्जी को लेकर कुछ ज्यादा परेशानी नहीं उठानी पड़ी. उनको लगा था कि लॉक डाउन की वजह से सब्जी के भाव बढ़ेंगे, लेकिन सब्जी के रेट भी ज्यादा नहीं हुए और उनको सब्जी और फल के लिए कोई परेशानी नहीं उठानी पड़ी. कुछ ही सब्जियों को 2 या 3 रुपए महंगी खरीदनी पड़ी.
मजदूरों के पलायन से कम हुई डिमांड- क्लर्क
सब्जी मंडी क्लर्क सुरेश ने बताया कि लॉक डाउन में सब्जी और फलों की किल्लत से बचने के लिए उन्होंने आढ़तियों के साथ बैठक की और बैठक में लोकल किसानों से सब्जी खरीदने का फैसला लिया गया. एक बड़ी बात ये रही कि भारी संख्या में मजदूरों के पलायन से भी जिले में सब्जी की खपत कम हुई. इस वजह से लॉकडाउन में लोगों को सब्जियों की आपूर्ति करते समय कामयाब रहे. लॉकडाउन में उन्होंने पलवल, मेवात, तक के किसानों से भी सब्जी खरीदी.
लॉकडाउन के दौरान फरीदाबाद सब्जी मंडी में कई बदलाव हुए. आढ़तियों और विक्रताओं ने काम करने के तौर तरीकों में भी बदलाव किया. इसके साथ ही सबसे अच्छी बात ये रही कि जिले में लॉकडाउन के दौरान लोगों को सब्जियों की किल्लत नहीं हुई. यही वजह थी कि लॉकडाउन के दौरान सब्जियों की किल्लत की वजह से महंगाई नहीं हुई और जनता की जेबों अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ा.