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फरादीबाद: लॉकडाउन में ठप हुआ सीवरेज प्रोजेक्ट अभी तक अधर में, बर्बाद हो रहे करोड़ों रुपये - पानी निकासी विकास कार्य फरीदाबाद

फरीदाबाद प्रशासन के पास भूमिगत जल की निकासी के लिए कोई प्लानिंग ना होने के चलते आम दिनों में भी सीवरेज की समस्या बनी रहती है. बरसात के समय में तो लोगों का घर से निकलना मुश्किल हो जाता है.

Faridabad water drainage problem
स्मार्ट सिटी में नहीं भूमिगत जल निकासी की व्यवस्था, क्लिक कर देखें रिपोर्ट

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Published : May 2, 2021, 10:44 PM IST

नई दिल्ली/फरीदाबाद: कहने को तो फरीदाबाद को स्मार्ट सिटी का दर्जा दिया गया है, लेकिन यहां मूलभूत सुविधाओं का भी टोटा है. हैरानी की बात है कि शहर में भूमिगत जल की निकासी को लेकर किसी तरह का कोई प्लान तैयार नहीं किया गया है. भूमिगत जल की निकासी के लिए कोई प्लानिंग ना होने के चलते आम दिनों में भी सीवरेज की समस्या बनी रहती है. बरसात के समय में तो लोगों का घर से निकलना मुश्किल हो जाता है.

स्मार्ट सिटी में नहीं भूमिगत जल निकासी की व्यवस्था, क्लिक कर देखें रिपोर्ट

ये समस्या आज की कोई नई नहीं है. बल्कि दशकों से बनी है. अब सवाल ये उठता है कि जब समस्या ज्यों की त्यों बनी रहती है तो करोड़ों रुपये कहां जाता है जो कि निगम की तरफ से विकास कार्यों पर खर्च किया जाता है. नगर निगम फरीदाबाद भूमिगत जल की निकासी के लिए बनाई गई नालियों के नवीनीकरण और साफ सफाई के लिए लाखों रुपये का बजट बनाता है.

ऐसे में शहर में भूमिगत जल की निकासी ना होना प्रशासन पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है. शहर के ज्यादातर नाले गंदगी की वजह से जाम हुए पड़े हैं. सफाई नहीं होने की वजह से जलभराव की स्थिति बनी हुई है. जगह-जगह लोग सीवरेज की लीकेज से परेशान हैं. फरीदाबाद में पानी की निकासी के लिए इस समय कई करोड़ रुपये के विकास कार्यों का काम चल रहा है. सेक्टर-1 से लेकर सेक्टर-3 तक करीब 22 लाख रुपये की लागत से नालियां तैयार की जा रही हैं, इसके अलावा सेक्टर-5 में करीब 8 लाख रुपये की लागत से नई सीवरेज लाइन डाली जा रही है.

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त्रिखा कॉलोनी में करीब 45 लाख रुपये की लागत से नई सीवरेज लाइन का काम किया जा रहा है. सेक्टर-15 से लेकर सेक्टर-22 तक पुरानी सीवरेज को निकालकर नई सीवरेज लाइनों का काम 65 लाख रुपये की लागत से किया जा रहा है. इसके अलावा पानी की निकासी के लिए शहर की नालियों की साफ-सफाई के लिए हर महीने करीब 9 लाख रुपये सफाई कर्मचारियों के वेतन और दूसरे जरूरी सामान पर खर्च किए जाते हैं. बल्लभगढ़ के सबसे ज्यादा स्लम एरिया शमशाबाद से लेकर सेक्टर 55 तक की नालियों को दुरुस्त करने के लिए हाल में ही करीब 1 करोड़ रुपये का टेंडर जारी हुआ था, लेकिन कोविड-के कारण उन पर काम शुरू नहीं हो पाया है.

कागजों तक सीमित स्मार्ट सिटी का विकास

ठीक इसी प्रकार से सेक्टर-19 में करीब 23 लाख रुपये की लागत नालियों के नवीनीकरण का काम चल रहा है. एनआईटी फरीदाबाद में सीवरेज लाइन के नवीनीकरण के लिए 2 करोड़ रुपए से ज्यादा के टेंडर जारी किए गए हैं. आगे आने वाले समय में पूरे फरीदाबाद शहर में सीवरेज लाइन को दुरुस्त करने के लिए फरीदाबाद मेट्रोपॉलिटन स्कीम के तहत कार्य होना है. कागजों में तो पानी निकासी को लेकर काम जोरो-शोरो से चल रहा है. लेकिन धरातल पर देखें तो लोग गंदगी की वजह से नकरकीय जीवन जीने को मजबूर हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि जहां पर काम शुरू होते हैं, वहां काम समय पर पूरे नहीं होते. इतना ही नहीं निर्माण कार्य में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया जाता है.

स्थानीय लोगों ने कहा कि पानी की निकासी के लिए बनाए गई नालियों की साफ सफाई नहीं की जाती जिस वजह से उनमें पानी खड़ा रहता है. शहर की सबसे बड़ी समस्या पानी की निकासी है. लेकिन इसको दूर करने के लिए अधिकारी और प्रशासन की तरफ से कोई विशेष प्रावधान नहीं किया गया है. केवल सड़कों को खोद कर डाल दिया जाता है और उन में सीवरेज के लाइन डाल दी जाती है. सफाई ना होने के कारण सीवर की लाइन भी ब्लॉक हो जाती है. आज शहर में जगह-जगह पर सीवरेज की लाइन बंद पड़ी हुई है.

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