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पलवल पुलिस ने किसानोंं ने की घर जाने की अपील, एनएच-19 अटोहां चौक पर चल रहा है धरना - पलवल अटोहां चौक किसान आंदोलन

गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली में हुए उपद्रव के बाद से किसान आंदोलन कमजोर होता दिखाई दे रहा है. पलवल पुलिस प्रशासन ने अटोहां चौक पर धरना दे रहे किसानों को घर जाने की अपील की है.

Police appealed to go home
पुलिस ने की घर जाने की अपील

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Published : Jan 28, 2021, 11:01 PM IST

नई दिल्ली/पलवल: जिला प्रशासन ने एनएच-19 पर गांव अटोहां मोड़ पर चल रहे किसानों के धरनास्थल को खाली कराने की कोशिश शुरू कर दी है. पुलिस के आलाधिकारियों ने मौके का मुआयना कर किसानों से धरनास्थल को खाली करने की अपील की. किसानों ने कहा कि ये सरकार की सोची समझी साजिश है.

कृषि कानूनों को रद्द करवाने और एमएसपी पर लिखित में कानून बनवाने की मांगों को लेकर अटोहां चौक पर चल रहा किसानों का धरना 57वें दिन जारी रहा. 24 घंटे की क्रमिक भूख हड़ताल का भी गुरुवार को 38वें दिन जारी रही. इस बीच प्रशासन ने आंदोलन स्थल पर सुरक्षा बढ़ा दी है.

गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड के दौरान हुए उपद्रव के बाद से किसान आदंलोन कमजोर पड़ता दिखाई दे रहा है. पलवल पुलिस प्रशासन ने भी किसानों ने धरनास्थल को खाली कराने की अपील की है. आंदोलन स्थल पर काफी पुलिस बल मौजूद है. जिससे कि आंदोलनकारी किसानों को यहां से हटाकर यातायात को सुचारु कराया जा सके. दिल्ली में उपद्रव के बाद से धरनास्थल से आंदोलनकारियों की संख्या में काफी कमी हुई है.

किसान कर रहे घर वापसी

दिल्ली उपद्रव के बाद से धरनास्थल पर कम हुए लोग

पुलिस का कहना है कि किसानों को धरनास्थल खाली करने के लिए कहा गया है और उन्हें कुछ समय दिया गया है. पुलिस ने अपील की है कि वो बिल्कुल शांति पूर्ण तरीक से अपने घर चलें जाए. धरनास्थल पर मौजूद किसान और किसान नेता रामनारायण कुररिया, गंगाराम ने कहा कि गणतंत्र दिवस वाले दिन दिल्ली में हुए उपद्रव में सरकार की सोची-समझी थी. अफवाहों को फैलाने में वो सफल हुए हैं. जो लोग सत्ता के साथ मिले हुए थे. उनको संतुक्त किसान मोर्चा ने अलग कर दिया है.

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किसानों ने कहा कि फिलहाल निराशा वाला दौर चल रहा है. इस बीच संयुक्त किसान मोर्चा अपना नया कार्यक्रम देगा. किसानों ने कहा कि हमें भरोसा है कि हम उसी स्थिति में आ जाएंगे जैसी पहले थे. दिल्ली हुए उपद्रव के बारे में उन्होंने कहा कि लाल किले पर जाने का किसी का कोई कार्यक्रम नहीं था. सरकार के द्वारा कुछ लोगों को सोची-समझी साजिश के तहत लाल किले में प्रवेश करा दिया गया. जबकि हमको पलवल से फरीदाबाद में प्रवेश तक नहीं करने दिया गया. यहां तक लाठी चार्ज तक किया गया.

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