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पलवलः शेल्टर होम में सुविधाएं मिलने के बावजूद घर जाने को बेताब प्रवासी मजदूर - Migrant laborers shelter home

पलवल जिले में प्रवासियों के लिए 26 रिलीफ कैंप बनाए गए हैं और होडल में 11 सेंटर बनाए गए हैं. सभी कैंपों में जिला प्रशासन द्वारा आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं. जिला प्रशासन इन रिलीफ कैंपों में शुद्ध पेयजल, आवश्यक खाद्य सामग्री उपलब्ध करा रहा है.

Palwal Migrant laborers desperate to go home despite getting facilities in shelter home
सुविधाएं मिलने के बावजूद घर जाने को बेताब प्रवासी मजदूर

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Published : Apr 1, 2020, 12:02 AM IST

नई दिल्ली/पलवलःकोरोना के प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के दौरान सोनीपत से अपने निकले सैकड़ों प्रवासी मजदूरों को पलवल में रोक लिया गया है. प्रवासी मजदूर खेतों और कच्चे रास्तों से होकर सोनीपत से पलवल तक पहुंचे थे, जिसके बाद अब उन्हें रिलीफ कैंपों में रखा गया है. लेकिन प्रवासी मजदूरों का मन रिलीफ कैंपों में नहीं लग रहा है और वो जल्द से जल्द अपने घर पहुंचना चाहते हैं.

सुविधाएं मिलने के बावजूद घर जाने को बेताब प्रवासी मजदूर

पलवल जिले में 26 रिलीफ कैंप

पलवल जिले में प्रवासियों के लिए 26 रिलीफ कैंप बनाए गए हैं और होडल में 11 सेंटर बनाए गए हैं. सभी कैंपों में जिला प्रशासन द्वारा आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं. जिला प्रशासन इन रिलीफ कैंपों में शुद्ध पेयजल, आवश्यक खाद्य सामग्री उपलब्ध करा रहा है. कैंपों में मजदूरों को सुबह, दोपहर और शाम तीन वक्त का खाना दिया जा रहा है और समय-समय पर उनका मेडिकल चेकअप कराया जा रहा है.

डॉक्टर और पुलिस की ड्यूटी

उपमंडल अधिकारी अमरदीप सिंह ने बताया कि शहर के लोगों द्वारा भी इनकी मदद की जा रही है. ताकि ये लोग भूखे नहीं रहे और इनको सभी सुविधाएं मिले. कैंपों को सैनिटाइज करके मजदूरों को अंदर ठहराया जा रहा है. पुलिस अधिकारियों की और डॉक्टरों की ड्यूटी इन कैंपों पर लगा दी गई है. ताकि इनकी अच्छी तरह से देखभाल हो सके.

घर जाने को बेताब मजदूर

इतनी सुविधाएं मिलने के बाद भी प्रवासी मजदूर गांव जाना चाहते हैं. इन लोगों को कहना है कि उनके काम धंधे बंद होने की वजह से वहां से कच्चे रास्तों से और खेतों से होकर या बॉर्डर तक पहुंचे लेकिन पुलिस ने इनको यहां पर रोक दिया और यह अपने अपने गांव जाना चाहते हैं. ताकि यह घर पर कुछ काम कर सकें. लेकिन जिला प्रशासन द्वारा इनको इनके अंदर 14 अप्रैल तक रोका गया और इनको यहां से जाने नहीं दिया जा रहा है.

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