नई दिल्ली/फरीदाबाद: कई साल से जो मामले कोर्ट में चल पेंडिंग चल रहे थे, उनके तुरंत समाधान के लिए लोक अदालत लगाई जाती है. शनिवार को भी राष्ट्रीय स्तर पर अलग-अलग जिलों में लोक अदालतें लगाई गई. जिसके तहत दिल्ली से सटे फरीदाबाद में भी लोक अदालत हुई ताकि लोगों के मामलों का जल्द समाधान हो सके.
लोक अदालतों में परिवार से संबंधित, बैंक से संबंधित, मोटर एक्सीडेंट से संबंधित, चेक बाउंस से संबंधित कई मामले आए, जिनका समाधान जल्द किया गया.
लोक अदालत में सुलझे कई साल से पेंडिंग चल रहे केस लोक अदालत में ऐसे मामलों का भी समाधान हुआ. जिसमें बैंक से लोन लेकर लोग परेशान थे. बैंक द्वारा लिए गए लोन पर ब्याज चढ़ाए जाने से परेशान लोगों को जब राहत मिली, जब लोक अदालत में उनका सेटलमेंट काफी कम रकम पर कर दिए.
इसके अलावा राष्ट्रीय लोक अदालत में सबसे ज्यादा राहत उन लोगों को भी मिली, जिनका परिवार में आपसी विवाद चल रहा था. लोक अदालत में आपसी सलाह कराकर उनकी समस्याओं का समाधान किया गया.
लोक अदालत से जुड़ी कुछ अहम जानकारी
लोक अदालतें ऐसे मंच या फोरम हैं, जहां न्यायालय में लंबित या मुकदमे के रूप में दाखिल नहीं किये गए मामलों का सौहार्दपूर्ण तरीके से निपटारा किया जाता है. ये सामान्य न्यायालयों से अलग होता है, क्योंकि यहां विवादित पक्षों के बीच परस्पर समझौते के माध्यम से विवादों का समाधान किया जाता है.
लोक अदालत की स्थापना का विचार सर्वप्रथम भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश पी.एन.भगवती द्वारा दिया गया था. सबसे पहली लोक अदालत का आयोजन 1982 में गुजरात में किया गया था. 2002 से लोक अदालतों को स्थायी बना दिया गया.
सिविल मामलों का निपटारा
लोक अदालतों में सभी दीवानी मामले, वैवाहिक विवाद, नागरिक मामले, भूमि विवाद, मज़दूर विवाद, संपत्ति बंटवारे संबंधी विवाद, बीमा और बिजली संबंधी आदि विवादों का निपटारा किया जाता है.
विधि के तहत ऐसे अपराध जिनमें राजीनामा नहीं हो सकता और ऐसे मामले जहां संपत्ति का मूल्य एक करोड़ रुपए से अधिक है, का निपटारा लोक अदालतों में नहीं हो सकता.