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माफिया-प्रशासन की मिलीभगत से बसते गए लोग, होती रही वसूली! फरीदाबाद के उजड़ते आशियानों की ये है कहानी - भू-माफिया फरीदाबाद

फरीदाबाद प्रशासन खोरी गांव (Khori Village Faridabad) पर मंगलवार की सुबह तोड़फोड़ की कार्रवाई शुरू कर सकता है. स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्रशासन की मिलीभगत से भू-माफियाओं ने यहां कब्जा करवाया था.

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माफिया-प्रशासन की मिलीभगत से बसते गए लोग, होती रही वसूली!

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Published : Jun 15, 2021, 3:16 AM IST

नई दिल्ली/फरीदाबाद: फरीदाबाद प्रशासन खोरी गांव (Khori Village Faridabad) के हजारों घरों पर पीला पंजा चलाने की शायद उल्टी गिनती शुरू कर चुका है. लेकिन जैसे-जैसे समय बीत रहा है खोरी गांव के लोगों पर आशियाने का खतरा भी बढ़ता जा रहा है. सबसे बड़ा सवाल तो ये है कि अरावली की जमीन पर इतनी बड़ी तादाद में अवैध कब्जा (Aravalli Hill Illegal Occupation Faridabad) कैसे हो गया? जब स्थानीय लोगों से इस बारे में बात की गई तो पता चला कि प्रशासन की मिलीभगत से भू-माफियाओं ने उनके साथ धोखा किया. जिसका खामियाजा उन्हें अब भुगतना पड़ रहा है और ये सब काम शुरू हुआ एक पर्ची से.

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स्थानीय लोगों के मुताबिक फरीदाबाद में भू-माफियाओं (Land Mafia Faridabad) ने प्रवासी लोगों को अरावली की जमीन पर रहने के लिए पर्ची काटकर दी. ये पर्ची 500 रुपये से लेकर हजार रुपये तक काटी गई. पर्ची का मतलब ये था कि मकान बाने वाली जमीन पर कोई दूसरा दावा नहीं कर सकेगा. पर्ची के बाद लोगों को कब्जा दिया जाता था. इसके बाद लोगों को एक हजार रुपये गज के हिसाब से प्लॉट दिए गए.

फरीदाबाद के खोरी गांव पर देखें खास रिपोर्ट

आरोप है कि खोरी गांव के नाम से भू-माफियाओं ने नकली रेजिडेंट्स वेलफेयर सोसाइटी (Residents Welfare Society Khori Village) बनाकर उसकी प्रतियां इन लोगों को थमा दी. भू-माफियाओं ने जो सोसाइटी बनाई थी उसका पंजीकरण ही नहीं हुआ. ये सोसाइटी सिर्फ इन लोगों से पैसे वसूलने के लिए बनाई गई थी. लोगों के हाथ में ये पर्चियां इस बात का सबूत है कि किस तरह भू-माफियाओं ने अरावली की खाली जमीन पर इन प्रवासी लोगों को सस्ते दामों में मकान बनाने का मलिकाना हक दे दिया.

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गुनाहगार कौन?

अब मकान के कागज के नाम पर लोगों के पास सिर्फ ये पर्चियां मौजूद हैं. जबकि हकीकत तो ये है कि इन पर्चियों का कोई वजूद नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद लोग अब घर के सामान को शिफ्ट कर हैं. लोगों का आरोप है कि हर महीने प्रॉपर्टी डीलर उनसे पुलिस विभाग और वन विभाग के लिए पैसे लेते थे. पैसे ना देने पर उनके ऊपर पेनल्टी भी लगाई जाती थी. आरोप है कि खुद पुलिस कर्मचारी और वन विभाग के कर्मचारी उनसे पैसे लेकर जाते थे. इन लोगों ने साफ कर दिया है कि चाहे कुछ भी हो लेकिन वो अपनी जमीन छोड़कर नहीं जाएंगे.

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लोगों का दावा है कि वो यहां 10-12 से साल से रह रहे हैं. इससे पहले ना तो प्रशासन को अवैध कॉलोनी का पता चला और ना सरकार को. माना जा रहा है कि 15 जून के बाद खोरी गांव के हजारों लोग बेघर हो जाएंगे. हर किसी को यही चिंता है कि बिना छत के आखिर गुजारा कैसे होगा? आज जो स्थिति बनी है उसकी जिम्मेदार सिर्फ ये लोग ही नहीं बल्कि सरकार और प्रशासन भी है. वोटों के लिए नेता यहां हुजूम लगाए दिखते हैं, लेकिन जब आज इन पर मुसीबत आन पड़ी है तो इनकी फिक्र करने वाला कोई नहीं है.

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