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औद्योगिक नगरी फरीदाबाद के लिए चीनी सामान का बहिष्कार मुश्किल क्यों? देखें रिपोर्ट

पूरे देश में चीनी सामान का बहिष्कार हो रहा है, लेकिन फरीदाबाद इंडस्ट्री इसके पक्ष में नहीं है. पिछले कुछ सालों में फरीदाबाद इंडस्ट्री रो मटेरियल के लिए चीन पर निर्भर है. जिसके कई कारण बताए जा रहे हैं.

how difficult is the boycott of china for faridabad industry
औद्योगिक नगरी फरीदाबाद

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Published : Jun 20, 2020, 9:06 PM IST

नई दिल्ली/फरीदाबाद:भारत और चीन सीमा पर शहीद हुए सैनिकों के बाद भारत में चीनी उत्पादों के बहिष्कार की मांग जोरों से उठ रही है. ऐसे समय में क्या सच में चीन के सामान का बहिष्कार भारत कर सकता है? इस पर ईटीवी भारत ने फरीदाबाद डीएलएफ इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के प्रधान एलपी मल्होत्रा से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि अगर भारत का चीन का पूरी तरह से बहिष्कार करता है तो क्या-क्या कठिनाईयां हो सकती हैं? साथ ही ये भी बताया कि क्या सच में इस समय चीनी सामान का बहिष्कार किया जा सकता है?

चीनी सामान का बहिष्कार मुश्किल क्यों? देखें रिपोर्ट

औद्योगिक नगरी फरीदाबाद में 31,000 छोटी और बड़ी कंपनियां हैं, जो अलग-अलग क्षेत्रों में काम कर रही हैं. जब पूरे देश में चीन के सामान के बहिष्कार की मांग उठ रही है तो ऐसे में फरीदाबाद इंडस्ट्री चीनी सामान के बहिष्कार में नहीं दिख रही है. इसके पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं. इंडस्ट्री संचालकों का मानना है कि चीन से आने वाले कच्चे माल पर फरीदाबाद की इंडस्ट्री निर्भर करती है. वो चीन का बहिष्कार करके नुकसान नहीं उठा सकते.

चीन पर निर्भर फरीदाबाद उद्योग इंडस्ट्री

मल्होत्रा ने बताया कि पिछले 20 सालों से हम चीन पर निर्भर इंडस्ट्री चला रहे हैं. हर क्षेत्र में चाहे वो टेक्नोलॉजी हो या ट्रेडिंग सब जगह चीन का कब्जा है. फरीदाबाद में लगभग 20%, ट्रेडिंग होल्डर और उद्योग चीन से आने वाले कच्चे माल पर निर्भर हैं. उन्होंने कहा कि वर्तमान में फरीदाबाद इंडस्ट्रीज के लिए चीनी उत्पाद का बहिष्कार करना संभव नहीं है. अगर वो इनका बहिष्कार करते हैं तो उनके पास कोई विकल्प नहीं है. चीन प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से देश के हर उद्योग में घुसा हुआ है. मूर्ति से लेकर हर सामान हम चीन से खरीद रहे हैं.

सस्ते ब्याज पर पैसे देता है चीन

जब उनसे पूछा गया कि आखिर हमारे पास चीन का विकल्प क्यों नहीं है? तो उन्होंने कहा कि चीन का विकल्प बनने के लिए उनको समय लगेगा. उनके सामने कई प्रकार की दिक्कतें हैं. उन्होंने कहा कि चीन में इंडस्ट्री लगाने के लिए दो प्रतिशत पर ब्याज मिलता है. लेकिन भारत में 10 से 12 प्रतिशत है.

भारत में उद्योग स्थापित करने में परेशानी

  • देश में अच्छे टूल मेकिंग की कमी है.
  • टूल मेकिंग ना होने से अच्छी डाई नहीं बनती.
  • उद्योगों को अच्छा रो मटेरियल नहीं मिलता.
  • चीन से सस्ता और अच्छा कच्चा माल मिलता है.
  • देश में क्वालिटी मेकर की कमी है.
  • लोग चीन के सामान पर ज्यादा निर्भर हैं.
  • वन स्टॉप मार्केट की कमी
  • कच्चा माल लेने में होती परेशानी

कलस्टर की कमी

चीन में सभी उद्योगों के लिए कलस्टर बनाए गए हैं. कलस्टर बनने से माल बनाने वाले और बेचने वाले एक जगह पर इकट्ठे होकर व्यापार कर सकते हैं, लेकिन बारत में इस प्रकार की व्यवस्था नहीं है. कोई भी सामान कहीं भी बनता है, जिसकी वजह से सामान की बाजार में कीमत बढ़ जाती है.

उन्होंने कहा कि चीन का विकल्प बनने के लिए भारत का 10 साल का समय लगेगा. इसके लिए सरकार को उद्योगों की बहुत मदद करनी होगी. सरकार को कलस्टर बनाने होंगे और अच्छा रो मटेरियल उद्योगों को उपलब्द कराना होगा. कच्चे और पक्के माल के लिए मार्केट उपलब्ध करानी होगी. अगर सरकार ने ऐसा नहीं किया तो हमें चीन पर ही डिपेंड रहना होगा.

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