दिल्ली

delhi

34वां सूरजकुंड मेला: हस्त कलाकारों का हुनर, मेले में जरूर देखें ये सामान

By

Published : Feb 6, 2020, 11:26 PM IST

Updated : Feb 7, 2020, 12:37 AM IST

फरीदाबाद में 34वां सूरजकुंड मेला जारी है. मेले में हस्तकलाकारों की धूम है. वहीं ऐसे भी स्टॉल मौजूद हैं, जो अपने अच्छे खासे मुनाफे और प्रदर्शनी के लिए नाबार्ड को श्रेय देते हैं.

surajkund mela
34वां सूरजकुंड मेला

नई दिल्ली/ फरीदाबाद:इस बार के सूरजकुंड मेले में नाबार्ड का विशेष योगदान है. नाबार्ड के माध्यम से देश के 55 कलाकारों को मेले में अपने उत्पाद प्रदर्शित करने का मौका मिला है और उनके रहने, खाने और यात्रा सहित स्टॉल उपलब्ध करवाने का सारा इंतजाम भी नाबार्ड ने ही किया है.

34वां सूरजकुंड मेला

मेले में नाबार्ड के माध्यम से 50 स्टॉल लगी हैं और हर स्टॉल पर आपको स्वंय सहायता समूह और लघु उद्योगों के कलाकारों द्वारा अपने हाथों से बनाए उत्पाद देखे जा सकते हैं. नीम की लकड़ी से घर सजावट की कलाकृतियां बनाने वाले आंध्र प्रदेश के हस्तशिल्पकार ने बताया कि उनका परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी लकड़ी से घर सजावट का सामान बनाने का काम कर रहा है.

लकड़ी से बना है सजावट का सामान
उन्होंने कहा कि ये पहला मौका है जब वो इतने बड़े मेले में अपनी कलाकृतियों को लेकर आए हैं और ये सब नाबार्ड की बदौलत है. मेले की 617 नम्बर स्टॉल पर नीम की लकड़ी से बनी घर सजावट की 500 रुपये से लेकर 2 लाख रुपये तक की कलाकृतियां उपलब्ध हैं. यहां आकर खुद ही कलाकारों की मेहनत का अंदाजा लगाया जा सकता है.

नाबार्ड की स्टॉलों में ही हरियाणा के करनाल से आई राजवंती बताती हैं कि वो इससे पहले भी दो बार इस मेले में आ चुकी हैं और लखनऊ, अमृतसर, चंडीगढ़, पटना व लुधियाना में भी स्टॉल लगा चुकी हैं. श्रीराम स्वयं सहायता समूह से जुड़ी राजवंती ने बताया कि नाबार्ड से जुड़ाव के बाद उनके उत्पाद बेचने और प्रदर्शन में बहुत ज्यादा सहायता मिली है.

'नाबार्ड ने की काफी सहायता'
बारह महिलाओं वाले स्वयं सहायता समूह द्वारा टेराकोटा से आर्कषक एवं सुंदर वस्तु बनाई जा रही हैं. राजवंती ने बताया कि उनके स्वयं सहायता समूह में करीब 15 महिलाएं शामिल हैं. करीब 8 साल पहले नाबार्ड से जुड़ने के बाद से उन सबकी जिंदगी ही बदल गई और पहले जहां उनका काम केवल मिट्टी के बर्तन बनाने तक सिमित था, अब उनका समूह कई प्रकार के उत्पाद बना रहा है और इस काम से उन्हें काफी मुनाफा भी हो जाता है.

स्वंय सहायता समूह ने बनाए परिंदों के रेडी टू मूव घोसले
मेले में 628 नम्बर की स्टॉल राजवंती की है और इस स्टॉल की खास बात ये है कि यहां पक्षियों के लिए घोसले भी मिल रहे हैं. आने वाला समय गर्मी का है, इसलिए इनके घोसलों की काफी डिमांड है. बेजुबान परिंदों को कंक्रीट के जंगलों में बने बनाए घोसले मिलना बड़ी राहत है. इन घोसलों को काफी कम रेट पर खरीदा जा सकता है. इस स्टाल पर 20 रुपए से लेकर 2 हजार रुपए तक की वस्तुएं उपलब्ध हैं.

सिर चढ़ कर बोल रही बांस पर कारीगरी
मेले की 609 नंबर स्टॉल पर पश्चिम बंगाल के मालदा से आए मानवेन्द्र नाथ की कारीगरी भी कुछ हटके है. वो बांस से बनी वस्तुओं को लेकर मेले में पहुंचे हैं और बताते हैं कि 1998 से वो इस काम में लगे हैं. उनके पास 50 रुपए से लेकर 500 रुपए तक की घर सजावट की चीजें उपलब्ध हैं. नाबार्ड से जुड़ने के बाद उन्हें काफी सहायता हुई है और इस मेले में भी वो नाबार्ड के माध्यम से ही आए हैं.

Last Updated : Feb 7, 2020, 12:37 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details