नई दिल्ली/फरीदाबाद:अरावली की वादियों में चल रहे सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले में आदिवासी परंपरा की झलक देखने को मिल रही है. दरअसल अफ्रीकी गांव गुजरात के मशहूर ‘गिर’ जंगल के बीच बसा है, जिसे ‘जंबूर’ कहते हैं. 34वें सूरजकुंड मेले में चौपाल पर हरियाणवी कलाकारों के साथ-साथ देश और विदेश से आए कलाकार भी अपनी प्रस्तुतियां दे रहे हैं.
आदिवासी संस्कृति की परंपरागत विरासत
इसी कड़ी में यहां पर आदिवासियों की संस्कृति की परंपरागत विरासत भी देखने को मिली. आदिवासी जनजाति सिद्दी जिनके पारंपरिक तौर-तरीके हमारे देश की समृद्धि और परंपरागत विरासत को आज भी आगे बढ़ा रहे हैं. आज भी इनकी सभ्यता-संस्कृति में अफ्रीकी रीति-रिवाज की छाप स्पष्ट देखी जा सकती है.