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बड़े शहरों का स्टेटस सिंबल बना गेटेड सोसायटी में रहना, इसके हैं कई फायदे - फरीदाबाद बड़ी सोसायटी

आजकल गेटेड सोसायटी में रहने का चलन काफी बढ़ गया है. ये बड़ी-बड़ी सोसायटियां लोगों के लिए भी काफी फायदेमंद भी साबित हो रही है. फिर चाहे वो सुरक्षा की बात हो या फिर एक साथ रहकर अलग-अलग धर्म के त्यौहारों को साथ मनाना हो.

gated communities becoming hubs of cosmopolitan culture in faridabad
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Published : Jan 20, 2021, 4:49 PM IST

नई दिल्ली/फरीदाबाद:आजकल शहरों में बड़ी-बड़ी सोसायटियों का होना आम बात हो चुका है. गेटेड सोसायटियों में रहना लोगों के लिए जहां एक ओर स्टेटट सिंबल बन चुका है तो वहीं ये बड़ी-बड़ी सोसायटियां लोगों के लिए भी काफी फायदेमंद साबित हो रही हैं. जैसे इन रेजिडेंसी सोसायटियों के मुख्य रास्तों पर बड़े-बड़े गेट लगे होते हैं. जहां चौबिसों घंटे सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम होते हैं. जिस वजह से यहां अपराध दूसरी जगहों से कम देखने को मिलता है.

रेजिडेंसी सोसायटियों के प्रवेश पर लगे लोहे के गेट लोगों की परेशानी को सुरक्षा के मामले में पूरी तरह से हल कर रहे हैं. सेक्टर या सोसायटी के प्रवेश द्वार पर लोहे के गेट और गार्ड होने की वजह से कोई भी असामाजिक तत्व सोसायटी के अंदर प्रवेश नहीं कर सकता और आने जाने वाले वाहनों पर भी इससे कंट्रोल रखा जा सकता है, जिसका परिणाम ये होता है कि कोई भी तेज स्पीड का वाहन सोसायटी के अंदर नहीं घुस सकता.

बड़े शहरों का स्टेटस सिंबल बना गेटेड सोसायटी में रहना

सोसायटी में कम होती हैं वारदातें

शहर में कई ऐसी वारदातें होती हैं, जिनमें रास्ते में खेलते छोटे बच्चों का अपहरण कर लिया गया जाता है, या फिर बच्चों पर तेज रफ्तार वाहन की चपेट में आना. सोसायटी में हाहर वक्त सुरक्षा गार्ड तैनात रहते हैं, जिस वजह से ऐसी वारदातें वहां होना थोड़ा मुश्किल होता है.

मिलकर मनाए जाते हैं त्यौहार

इसके अलावा सेक्टर सोसायटी में आने-जाने वाले वाहनों की एंट्री रजिस्टर की जाती है और उसका एक रिकॉर्ड भी रखा जाता है. जिसका फायदा ये होता है कि जरूरत पड़ने पर गाड़ी का नंबर दोबारा से मिल सकता है.

सोसायटी में संस्कृतियों का मिलन

वहीं संस्कृति का आदान-प्रदान भी इस तरह की सोसायटियों में ज्यादा होता है, क्योंकि सेक्टर सोसायटी में अलग-अलग समाज और धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं. ऐसे में जब कोई भी त्योहार आता है तो सेक्टरवासी मिलकर त्योहार को उत्सव की तरह मनाते हैं. इससे लोगों को आपस में जानने का मौका मिलता है और ऐसा कर उन्हें एक दूसरे की संस्कृति को जानने का मौका भी मिलता है.

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