नई दिल्ली/पलवल: शमशाबाद में बघेल युवा संगठन की ओर से महारानी अहिल्याबाई होल्कर की जयंती मनाई गई. इस अवसर पर लोगों ने अहिल्याबाई होल्कर के चित्र के सामने दीप जलाकर श्रद्धा सुमन अर्पित किए. इस बारे में बघेल युवा संगठन के प्रधान राम कुमार शास्त्री ने बताया कि अहिल्याबाई होल्कर ने सामाजिक और धार्मिक कार्यों के साथ-साथ सभी वर्गों के हितों के लिए काम किया.
साथ ही अहिल्याबाई ने अपने राज्य की सीमाओं के बाहर मंदिर बनवाए, घाट बंधवाए, कुओं का निर्माण कराया, मार्ग बनवाए और सुधरवाए, भूखों के लिए भोजनालयों का निर्माण किया. प्यासों के लिए प्याऊ बनवाए. उन्होंने कहा कि हमें उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए और उनके द्वारा बताए गए आदर्शों पर चलना चाहिए.
कौन थीं अहिल्याबाई होल्कर?
अहिल्याबाई होल्कर एक महान शासक और मालवा प्रांत की महारानी थी. ज्यादातर लोग राजमाता अहिल्यादेवी होल्कर नाम से भी जानते हैं. उनका जन्म महाराष्ट्र के चोंडी गांव में 1725 में हुआ था. उनके पिता मानकोजी शिंदे खुद धनगर समाज से संबंध रखते थे. जो गांव में पाटिल की भूमिका निभाते थे. अहिल्याबाई को उनके पिता ने ही पढ़ाया लिखाया था.
अहिल्याबाई का जीवन बहुत साधारण तरीके से गुजरा. 18वीं सदी में मालवा प्रांत की रानी बन गईं. युवा अहिल्यादेवी की सरलता ने मल्हार राव होल्कर को प्रभावित किया. मल्हार राव होल्कर पेशवा बाजीराव की सेना में एक कमांडर थे. मल्हार राव होल्कर ने अहिल्याबाई की शादी अपने बेटे खांडे राव से करवा की.
अहिल्याबाई मराठा समुदाय के होल्कर राजघराने की बहू बनीं. उनके खांडे राव की मौत 1754 में कुंभेर की लड़ाई में हो गई थी. सारी जिम्मेदारी अहिल्याबाई पर आ गई. उन्होंने अपने ससुर के कहने पर सैन्य मामलों और प्रशासनिक मामलों रुचि दिखाई और तरीके से उस में जुट गईं.