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जमानत भी नहीं बचा सके AAP के उम्मीदवार, दिल्ली में क्या होगा?

हरियाणा के ही हिसार में पैदा हुए अरविंद केजरीवाल की पार्टी पहले तो राज्य की सभी 90 सीटों में से सिर्फ 46 सीटों पर ही अपने उम्मीदवार उतार पाई और जब नतीजे सामने आए तो पार्टी के सियासी सूरमा राजनीति की रेस में बेदम होकर गिरते-पड़ते दौड़ने वाले खिलाड़ी नजर आए.

Aam Aadmi Party candidate defeat badly in Haryana, what will happen in Delhi ?

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Published : Oct 29, 2019, 9:52 AM IST

नई दिल्ली/चंडीगढ़ःहरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 बड़े-बड़े राजनीतिक दलों और खुद को सियासी तुर्रम खां समझने वाले लोगों को संदेश दे गया. 2014 से 2019 तक प्रदेश में अकेले सत्ता की मलाई खाने के बाद 75 पार का नारा देकर चुनाव मैदान में उतरी बीजेपी जहां नतीजे आने पर 40 सीटों पर सिमट गई, वहीं एड़ी-चोटी का पूरा जोर लगाकर भी कांग्रेस 31 के आंकड़े को पार नहीं कर सकी.

जमानत भी नहीं बचा सके 'आप' के उम्मीदवार

साल 2014 में प्रदेश में 19 सीटें जीतकर मुख्य विपक्षी दल बनी इनेलो इस चुनाव में सिर्फ 1 सीट पर सिमट गई, वहीं 11 महीने पहले बनी नई नवेली जननायक जनता पार्टी ने 10 सीटें जीतकर राजनीतिक पंडितों के आंकलन की हवा निकाल दी, 7 निर्दलीयों ने भी जीत हासिल कर अपना दम दिखाया. वहीं हरियाणा लोकहित पार्टी को भी 1 सीट मिली.

आम आदमी पार्टी का निकला दम
इन सबके बीच दिल्ली में सत्ता का स्वाद ले रही आम आदमी पार्टी भी पूरे जोर-शोर से हरियाणा विधानसभा चुनाव में अपना दम दिखा रही थी. हरियाणा के ही हिसार में पैदा हुए अरविंद केजरीवाल की पार्टी पहले तो राज्य की सभी 90 सीटों में से सिर्फ 46 सीटों पर ही अपने उम्मीदवार उतार पाई और जब नतीजे सामने आए तो पार्टी के सियासी सूरमा राजनीति की रेस में बेदम होकर गिरते-पड़ते दौड़ने वाले खिलाड़ी नजर आए.


AAP के सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त
आम आदमी पार्टी के सभी 46 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई. 46 प्रत्याशियों में से बमुश्किल से 2 या 3 प्रत्याशी 2000 से ज्यादा वोटों का आंकड़ा पार कर सकें. हरियाणा विधानसभा चुनाव में पार्टी 0.48 प्रतिशत वोट ही पा सकी, जोकि नोटा के 0.52 प्रतिशत से भी कम है. कुल मिलाकर आम आदमी पार्टी के लिए हरियाणा इलेक्शन किसी बुरे सपने जैसा ही साबित हुआ.


दिल्ली इलेक्शन में दिखेगा हरियाणा का असर!
लेकिन अब इस पार्टी को एक और इलेक्शन का सामना करना है, अगले साल दिल्ली में विधानसभा का चुनाव होना है. हरियाणा में अगर पार्टी को 1-2 सीटें भी मिल गई होती तो पार्टी के लिए कुछ सकारात्मक हो गया होता. दिल्ली विधानसभा चुनाव में पार्टी सकारात्मक रुख के साथ दम दिखाने के लिए उतरती.

राजनीति के जानकार मानते हैं कि पार्टी की पतली हालत के चलते ही अरविंद केजरीवाल या पार्टी का कोई दूसरा बड़ा नेता हरियाणा में प्रचार करने तक नहीं आया, क्योंकि पार्टी की हार का कीचड़ उनकी दामन पर भी पड़ता और उनकी छवि प्रभावित होती.


दिल्ली में AAP-बीजेपी की सीधी टक्कर!
दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सीधी टक्कर बीजेपी से है. केंद्र सरकार ने दिल्ली में हाल ही में 1797 अवैध कॉलोनियों को वैध करने का ऐलान किया है. जिसका सीधे तौर पर करीब 40 लाख लोगों को फायदा होगा. वहीं हरियाणा में बीजेपी ने जेजेपी के साथ गठबंधन करके सरकार बना लिया है. माना जा रहा है कि ये गठबंधन दिल्ली में भी बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. क्योंकि दिल्ली में जाट वोटर्स की बड़ी तादाद है. ऐसे में दिल्ली में भी जेजेपी नेता बीजेपी के लिए चुनाव प्रचार कर सकते हैं, जो आम आदमी पार्टी के लिए सिरदर्द बढ़ाने वाला साबित हो सकता है.


हरियाणा से कांग्रेस को भी मिली संजीवनी
वहीं हरियाणा में 31 सीटें पाकर कांग्रेस पार्टी भी उत्साहित दिखाई दे रही है. क्योंकि पिछले चुनाव की तुलना में कांग्रेस की सीटें दोगुनी हुई हैं. जिसने लगभग मरणासन्न अवस्था में पहुंच गई कांग्रेस पार्टी के लिए संजीवनी का काम किया है और हरियाणा के नतीजों से कांग्रेस आलाकमान भी उत्साहित है. ऐसे में हरियाणा में आए चुनाव नतीजे और हरियाणा विधानसभा चुनाव के बाद बने समीकरण दिल्ली में आम आदमी पार्टी के सियासी समीकरण बिगाड़ सकते हैं.

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