नई दिल्ली :दक्षिण दिल्ली एसडीएम कार्यालय साकेत में जाति प्रमाण पत्र एवं EWS प्रमाण पत्र बनाने आने वाले लोगों की सुविधा के लिए हेल्पडेस्क लगाया गया है, जहां पर सिविल डिफेंस के लोगों को आम लोगों की मदद के लिए तैनात किया गया है, लेकिन सिविल डिफेंस के जवान आम लोगों के साथ खराब व्यवहार करते हैं, जिसकी वजह से अक्सर यहां मारपीट जैसी स्थिति पैदा हो जाती है. सिविल डिफेंस के जवान आम आदमी की मदद करने की जगह उनके साथ बदतमीजी करते हैं और उनकी मदद नहीं करते. संगम विहार से EWS सर्टिफिकेट बनवाने वहां गए दीपक पांडे नाम के युवक का सिविल डिफेंस वालों से तीखी नोकझोंक हो गई.
दीपक को EWS सर्टिफिकेट के लिए फॉर्म लेना था, इसके लिए एसडीएम कार्यालय में लगे हेल्प डेस्क पर गए, लेकिन वहां पर उन्हें कोई सही जानकारी नहीं दी गई. उन्हें EWS फॉर्म भी नहीं दिया गया. उल्टे उनके साथ बदतमीजी की गई. सिविल डिफेंस का जवान बिना वर्दी के थे और वह आम लोगों के साथ बदतमीजी से बात कर रहे थे. इससे लोगों का गुस्सा भड़क गया और हेल्पडेस्क की उपयोगिता पर ही सवाल खड़ा कर दिया. जब आम लोगों की मदद करनी ही नहीं है तो यहां सिर्फ दिखाने के लिए हेल्पडेस्क क्यों लगाया गया है? यहां पर सीधे मुंह बात नहीं करने वाले सिविल डिफेंस को क्यों लगाया गया है?
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दीपक ने बताया कि वह EWS के फॉर्म के लिए SDM कार्यालय आए थे. यहां खिड़की नंबर एक पर उन्हें बताया गया कि हेल्प डेस्क पर जाइए, वहां पर सिविल डिफेंस के जवान आपकी पूरी मदद करेंगे, लेकिन यहां आने पर सिविल डिफेंस के जवान ने ठीक से बात नहीं की और EWS फॉर्म जैसी किसी चीज के होने से इनकार किया. साथ ही उन्हें वहां से भाग जाने को कहा गया. उन्होंने कहा कि हेल्प डेस्क पर लोगों की मदद करने की जगह उनके साथ बदतमीजी से बात की जाती है. सिविल डिफेंस के जवान क्या मदद कर लोगों पर एहसान कर रहे हैं? उन्होंने अगर वर्दी पहन ली है तो वह खुद को पुलिस के जवान समझने लगे हैं.
इसी बीच वहां सिविल डिफेंस इंचार्ज पहुंच गईं और उन्होंने बीच-बचाव किया. साथ ही सिविल डिफेंस के जवानों को आम लोगों के साथ विनम्रतापूर्वक व्यवहार करने के निर्देश दिया. साथ ही उन्होंने हेल्प डेस्क पर काम करने वाले सभी सिविल डिफेंस के जवानों को यूनिफॉर्म में रहने को कहा. बड़ा सवाल यह है कि दिल्ली सरकार हर विभाग में सिविल डिफेंस के लोगों को भर रखा है. कहने को यह पद निस्वार्थ सेवा भाव है. इसमें किसी तरह की कोई सैलरी की बात नहीं है, लेकिन उन्हें अच्छी खासी सैलरी भी दी जाती है. फिर भी वह लोगों के साथ सही तरीके से बात नहीं कर पाते. लोगों की मदद करने की जगह ये लोग उनके लिए मुसीबत बन रहे हैं.