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दिल्ली इलेक्शन 2020: प्याज कैसे पलट सकता है चुनावी पासा, समझिए पूरा गणित - etv bharat delhi news

विधानसभा चुनाव में प्याज के दाम किस तरीके से मतदाता का मन बदलेंगे, ये जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने साउथ दिल्ली की एक सब्जी मंडी में जाकर लोगों से बात की.

Election 2020
दिल्ली विधानसभा चुनाव

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Published : Jan 17, 2020, 8:45 AM IST

Updated : Jan 17, 2020, 2:52 PM IST

नई दिल्ली:विधानसभा चुनाव के लिए कुछ ही दिन बाकी रह गए हैं, लेकिन उससे पहले लोगों के जहन में कई ऐसे अहम मुद्दे हैं, जिनको ध्यान में रखते हुए वो अपने मत का प्रयोग करेंगे. खासतौर पर महंगाई का मुद्दा.

दिल्ली विधानसभा चुनाव

वैसे तो महंगाई हमेशा से ही चुनाव में अहम मुद्दा रहा है, लेकिन प्याज के दाम ने कई बार सरकारों का समीकरण बदला है. चाहे बात फिर दिल्ली में बीजेपी सरकार की हो या फिर कांग्रेस की. इस बार विधानसभा चुनाव में प्याज के दाम किस तरीके से मतदाता का मन बदलेंगे, ये जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने साउथ दिल्ली की एक सब्जी मंडी का दौरा किया.

150 के पार पहुंचा था प्याज

राजधानी में पिछले साल यानी नवंबर और दिसंबर में प्याज के दाम ने जनता को खूब रुलाया था. दिल्ली में प्याज की कीमतें 150 के पार तक पहुंच गई थीं. रिटेल में प्याज 120 रुपये से 140 रुपये किलो तक मिल रहा था. वहीं थोक में दुकानदार 100 रुपये किलो तक प्याज दे रहे थे.

बिगड़ा घर का बजट

साउथ दिल्ली की कालकाजी सब्जी मंडी में प्याज खरीदने के लिए आए जय मुखर्जी का कहना था कि पिछले दिनों प्याज 120 रुपये किलो के पार पहुंचा था. अभी भी 70 से 80 रुपये किलो तक मिल रहा है. इसका सीधा असर हमारी जेब पर पड़ रहा है. प्याज की बढ़ती कीमतों ने घर का पूरा बजट ही बिगाड़ दिया है.

महंगाई से परेशान हाउसवाइफ

हाउसवाइफ दीपशिखा का कहना था कि केवल प्याज ही नहीं अन्य सब्जियों सहित दाल, दूध सभी चीजें महंगी हो चुकी हैं. जिसके कारण पहले जो रसोई का बजट दो से तीन हजार में चल जाता था. वो अब 5000 के पार पहुंच रहा है.


सरकार के सामने प्याज की कीमतें रहीं बड़ी चुनौती

बता दें कि पहली बार 1980 में प्याज चुनावी मुद्दा बनकर उभरा था. जब केंद्र में जनता पार्टी की सरकार थी और कांग्रेस विपक्ष में थी. तब इंदिरा गांधी ने प्याज की माला पहनकर प्रचार किया था, तब आम चुनावों में जनता पार्टी की हार हुई थी.

इतना ही नहीं 1998 में प्याज की कीमतों के चलते बीजेपी की सरकार भी नहीं चली थी और फिर साल 2013 में दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत शीला दीक्षित की सरकार में भी बीजेपी ने प्याज की कीमतों को मुद्दा बनाया था, जिससे शीला दीक्षित को 15 साल की सत्ता से हाथ धोना पड़ा था.

Last Updated : Jan 17, 2020, 2:52 PM IST

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