दिल्ली: कोर्ट की टिप्पणी के बाद भी नहीं बदले हाल, अगस्त में मात्र 28% हुए RTPCR टेस्ट
दिल्ली में कोरोना टेस्ट के माध्यम को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं. कम विश्वसनीयता वाले एंटीजन का दायरा बढ़ता जा रहा है, वहीं गोल्ड स्टैंडर्ड माने जाने वाले आरटीपीसीआर माध्यम से लगातार कम टेस्ट हो रहे हैं. ईटीवी भारत ने इसे लेकर विशेषज्ञ डॉक्टर और दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री से बातचीत की.
दिल्ली: कोर्ट की टिप्पणी के बाद भी नहीं बदले हाल, अगस्त में हुए मात्र 28 फीसदी RTPCR टेस्ट
नई दिल्ली: दिल्ली में 18 जून से रैपिड एंटीजन टेस्ट की शुरुआत हुई थी. उद्देश्य यह था कि इसके जरिए दिल्ली के कंटेनमेंट जोन में जल्द से जल्द संक्रमण का पता लगाया जाए. कोरोना टेस्ट का यह माध्यम कामयाब रहा लेकिन जल्द ही रैपिड एंटीजन कंटेंमेंट जोन्स से बाहर निकलकर पूरी दिल्ली में टेस्टिंग का सबसे बड़ा माध्यम बन गया. हालात ये हो गए कि एंटीजन टेस्ट आरटीपीसीआर पर हावी हो गया.
वर्तमान की बात करें, तो 9 अगस्त को दिल्ली सरकार द्वारा जारी हेल्थ बुलेटिन के अनुसार, पूरी दिल्ली में 23,787 सैम्पल टेस्ट हुए हैं. इनमें से मात्र 5702 टेस्ट ही आरटीपीसीआर माध्यम से हुए हैं, बाकी 18,085 रैपिड एंटीजन टेस्ट किए गए हैं. यानी कुल टेस्ट का मात्र 23.97 फीसदी हिस्सा ही आरटीपीसीआर का है. अगस्त महीने में अब तक हुए टेस्ट का आंकड़ा देखें, तो उसमें आरटीपीसीआर की दर और भी कम है.
मात्र 28 फीसदी RTPCR टेस्ट
1 से 9 अगस्त के बीच दिल्ली में कुल 1,59,297 टेस्ट हुए हैं और इनमें से आरटीपीसीआर की हिस्सेदारी मात्र 44,862 है. यह कुल सैम्पल टेस्ट का मात्र 28.16 फीसदी है. यह तब है, जब रैपिड एंटीजन टेस्ट की विश्वसनीयता पर लगातार सवाल खड़े होते रहे हैं. इन आंकड़ों को जब हमने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन में हॉस्पिटल बोर्ड ऑफ इंडिया के ज्वाइंट डायरेक्टर डॉ. अनिल गोयल के सामने रखा, तो उन्होंने भी आरटीपीसीआर टेस्ट पर बल दिया.
'RTPCR है गोल्ड स्टैंडर्ड'
डॉ. अनिल गोयल ने कहा कि जिसे भी कोरोना को लेकर थोड़ा भी संदेह हो, उसे आरटीपीसीआर टेस्ट ही कराना चाहिए. उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि आरटीपीसीआर ही कोरोना टेस्ट का गोल्ड स्टैंडर्ड माध्यम है. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को भी चाहिए कि ज्यादा से ज्यादा आरटीपीसीआर टेस्ट करें. दोनों टेस्ट माध्यमों के बीच के गैप और इसे लेकर उठ रहे सवालों को हमने दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री के सामने भी रखा.
'ICMR की गाइडलाइन का हवाला'
इस पर स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन का कहना था कि हॉस्पिटल्स में बेड खाली पड़े हैं. जो कोई भी बीमार है, उसे हम टेस्ट से मना नहीं कर रहे. लेकिन आरटीपीसीआर को लेकर आईसीएमआर की गाइडलाइन है कि इसके जरिए उसी का टेस्ट किया जा सकता है, जिसमें कोरोना के लक्षण हों. उन्होंने कहा कि दिल्ली के फ्लू क्लीनिक में होने वाले 100 टेस्ट में से पांच पॉजिटिव आए, लेकिन दो लक्षण होने के बावजूद पॉजिटिव नहीं आए, तो उन्हीं का आरटीपीसीआर टेस्ट करते हैं, बाकी लोग इसके दायरे में नहीं आते.
'हाईकोर्ट ने उठाया था सवाल'
स्वास्थ्य मंत्री ने तो इसे लेकर आईसीएमआर की गाइडलाइन का हवाला दे दिया और खाली हॉस्पिटल्स बेड्स की बात कह दी, लेकिन इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट भी सवाल उठा चुका है. शुरुआती दिनों में ही जब हर दिन आरटीपीसीआर की तुलना में दोगुने-तीन गुने रैपिड एंटीजन टेस्ट होने लगे थे, तभी हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को तलब किया था. 28 जुलाई को दिल्ली हाई कोर्ट ने इसे लेकर सरकार से सवाल किया था.
'नहीं हो रहा 50% क्षमता का इस्तेमाल'
कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली सरकार के मुताबिक दिल्ली में सरकारी और प्राइवेट सेक्टर के कुल 54 लैब हैं, जिनमें रोजाना 11 हज़ार आरटीपीसीआर टेस्ट किए जा सकते हैं, लेकिन 15-23 जुलाई के बीच रोजाना 6 हजार से भी कम आरटीपीसीआर टेस्ट हुए हैं. आरटीपीसीआर की 50 फीसदी क्षमता का इस्तेमाल नहीं हो रहा. ऐसा लग रहा है कि फोकस एंटीजन टेस्ट पर है, जबकि टेस्टिंग का गोल्डन स्टैंडर्ड आरटीपीसीआर है.
मुख्यमंत्री ने किया था ट्वीट
कोर्ट की इस टिप्पणी के अगले ही दिन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे लेकर एक ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने मौजूदा दिशानिर्देश का हवाला देते हुए एंटीजन में नेगेटिव आने वालों का अनिर्वाय आरटीपीसीआर टेस्ट कराने की बात कही थी. लेकिन कोरोना के ज्यादातर मामले बिना लक्षण के होते हैं और इनमें संक्रमण का पता एंटीजन के जरिए नहीं चल सकता है. चिंता की बात यह है कि बिना लक्षण वाले संक्रमितों से अन्य लोग संक्रमित हो सकते हैं और आगामी दिनों में यह दिल्ली के लिए खतरनाक सबित हो सकता है.