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बजट सत्र के समापन पर दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष ने कही अपने मन की बात

दिल्ली विधानसभा का बजट सत्र 29 मार्च को संपन्न हो गया. सत्र समाप्त होने के बाद दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि बजट सत्र में वित्त मंत्री द्वारा बजट पेश करना सबसे महत्वपूर्ण होता है. उन्हें खुशी है कि दिल्ली के वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने 26 फरवरी को जो रोजगार बजट पेश किया. वह दिल्ली वालों के हित में होगा.

At conclusion of budget session Speaker of Delhi Assembly spoke his mind
At conclusion of budget session Speaker of Delhi Assembly spoke his mind

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Published : Apr 1, 2022, 4:35 PM IST

नई दिल्ली :दिल्ली विधानसभा का बजट सत्र 29 मार्च को संपन्न हो गया. सत्र समाप्त होने के बाद दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि बजट सत्र में वित्त मंत्री द्वारा बजट पेश करना सबसे महत्वपूर्ण होता है. उन्हें खुशी है कि दिल्ली के वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने 26 फरवरी को जो रोजगार बजट पेश किया. वह दिल्ली वालों के हित में होगा. बजट सत्र में पहले 25 मार्च को वित्त मंत्री द्वारा बजट पेश किया जाना था. अचानक यह 26 मार्च क्यों किया गया? इस सवाल के जवाब में विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने कहा कि वह इसका घुमा फिराकर नहीं बल्कि सीधा जवाब देना पसंद करेंगे. उन्हें इसी में आनंद आता है. उन्होंने कहा कि 25 मार्च को उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का शपथ ग्रहण समारोह था. उस दिन दिल्ली में अगर वित्त मंत्री बजट पेश करते तो मीडिया में इसे उतना अच्छा फोकस न मिलता. इसी वजह से बजट पेश करने का दिन टाला गया और उसे 25 की बजाय 26 मार्च कर दिया गया था.




विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने कहा कि उन्हें इस बात का दुख है कि विधानसभा सत्र संचालन के दौरान 3 दिन 24 मार्च, 28 और 29 मार्च को प्रश्नकाल के दौरान सभी पूछे गए 60 तारांकित और 225 अतारांकित प्रश्नों के लिए सदस्यों से नोटिस प्राप्त हुए थे. 9 प्रश्नों का उत्तर संबंधित विभाग डीडीए, दिल्ली पुलिस से जवाब प्राप्त नहीं हुआ. जिससे सदस्य भी खासे नाराज हैं. उन्होंने निराशा व्यक्त की. उन्होंने खेद पूर्वक यह बात कही कि वे अपने चुनाव क्षेत्र के मतदाताओं के प्रति उत्तरदायी हैं.

बजट सत्र के समापन पर दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष ने कही अपने मन की बात

दिल्ली में उपराज्यपाल बनाम चुनी हुई सरकार के बीच खींचतान का नतीजा है कि केंद्र सरकार के अधीन आने वाले दिल्ली पुलिस हो या फिर डीडीए. विधायकों द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब नहीं देते हैं. विधानसभा अध्यक्ष ने यह भी कहा कि इस बाबत वे विधानसभा की प्रिविलेज कमेटी से राय-मशवरा करके आगे कोर्ट का रुख करेंगे. उन्हें हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट, जहां भी जाना पड़ेगा इस मुद्दे को ले जाएंगे.

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विधानसभा अध्यक्ष ने दिल्ली नगर निगम को एक करने संबंधी लोकसभा में पारित किए गए बिल पर भी अपनी बात कही. उन्होंने कहा कि बिल में केंद्र सरकार को और अधिक शक्तियां प्रदान करने की बात की गई है. जबकि उसके उत्तरदायित्व का उसमें कोई उल्लेख नहीं है. इस प्रकार दिल्ली सरकार निगम का वित्त पोषण करती रहेगी, लेकिन निगम को नियंत्रित केंद्र सरकार द्वारा किया जाएगा. इस विषय पर व्यक्त किए गए राजनीतिक विचारों पर वे अध्यक्ष के नाते कहना चाहेंगे कि संसद द्वारा स्थानीय निकायों के विषय में इस प्रकार का हस्तक्षेप हमारे संविधान की मूल भावना और संघीय ढांचे के विरुद्ध है. केंद्र सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए.

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