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इस साल महंगाई ने कब-कब किया बेहाल, कब मिली राहत, एक नजर

Year Ender 2023 on Inflation - साल 2023 खत्म होने को है. इस साल जिन आर्थिक मुद्दों की सबसे ज्यादा चर्चा रही, उनमें महंगाई एक अहम विषय रहा है. इस साल पेट्रोल और डीजल के दाम कम तो नहीं हुए, लेकिन इसकी कीमत बढ़ी भी नहीं. एक समय में टमाटर की कीमत आम लोगों की पहुंच से बाहर चली गई थी, उसके बाद प्याज की कीमत भी लोगों को परेशान करती रही. जुलाई महीने में महंगाई दर सबसे ज्यादा रही, जबकि मई महीना लोगों के लिए सबसे अच्छा रहा, जब महंगाई अपने निम्नतम स्तर पर चला गया था. महंगाई के हिसाब से यह साल कैसा रहा, एक नजर.

Year Ender 2023
इस साल कैसी रही महंगाई की मार

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 20, 2023, 1:01 AM IST

नई दिल्ली :महंगाई एक ऐसा मुद्दा है जिसकी चर्चा हर घर में की जाती है. ऐसे में सालभर महंगाई ने लोगों को राहत दी या परेशान यह जानना जरुरी है. मुद्रास्फीति या वस्तुओं और सेवाओं के सामान्य मूल्य स्तर में वृद्धि, लंबे समय से दुनिया भर में चिंता का विषय रही है. यह किराने के सामान और आवास की लागत से लेकर अर्थव्यवस्था के हर चीज को प्रभावित करता है. 2023 खत्म होने की राह पर है, जब आर्थिक परिदृश्य विकसित हो रहा है, देश की आर्थिक स्थिति को बेहतर ढंग से समझने के लिए भारत में इन्फ्लेशन को गहराई से जानना भी जरूरी हो जाता है.

इस साल महंगाई ने कब-कब किया बेहाल

इस खबर में हम आपको सालभर महंगाई कैसा रहा, इस बात पर बात करेंगे. जुलाई महीने में टमाटर पेट्रोल से भी अधिक महंगा हो गया था. लोगों को एक किलो के भाव 200 रुपये पर पहुंच गए थे. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, प्याज की ऑल इंडिया खुदरा कीमत 29 नवंबर को 94.39 फीसदी बढ़कर 57.85 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई, जो एक साल पहले 29.76 रुपये प्रति किलोग्राम थी. अगस्त के बाद से अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतें बढ़ी, जिसके वजह से भारत में भी तेल के दामों में बढ़ोतरी देखने को मिली थी.

मई में महंगाई दो साल के सबसे निचले स्तर पर थी
नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑर्गेनाइजेशन (एनएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति अगस्त के 6.83 फीसदी से घटकर सितंबर में 5.02 फीसदी हो गई थी, जो तीन महीने का निचला स्तर था. जून 2023 में, सीपीआई मुद्रास्फीति 4.81 फीसदी थी, जो आरबीआई की 6 फीसदी की ऊपरी सहनशीलता सीमा से काफी नीचे थी. मई 2023 में यह दो साल में सबसे निचले स्तर 4.25 फीसदी पर पहुंच गई. अप्रैल 2022 में, सीपीआई 7.79 फीसदी पर पहुंच गई, जबकि जनवरी 2021 में अब तक का सबसे निचला बिंदु 4.06 फीसदी देखा गया.

इस साल कैसी रही महंगाई की मार

होलसेल प्राइस इंडेक्स (डब्ल्यूपीआई) के संदर्भ में, जो उत्पादों के खुदरा बाजार में पहुंचने से पहले समग्र मूल्य स्तर को मापता है, मुद्रास्फीति का डेटा सितंबर में -0.26 फीसदी था, अगस्त में -0.52 फीसदी था. मई 2023 में यह -3.48 फीसदी और अप्रैल 2023 में -0.92 फीसदी थी, जबकि मार्च 2023 में यह 1.34 फीसदी थी. भारत में महंगाई दर अगस्त में 6.83 फीसदी से घटकर सितंबर में 5.02 फीसदी हो गई. इससे पहले जुलाई में महंगाई दर 7.44 फीसदी, जून में 4.81 फीसदी और मई में 4.25 फीसदी रही थी.

नवंबर महीने में महंगाई बढ़ा
भारतीय रिजर्व बैंक ने नवंबर महीने का इन्फेल्शन रेट जारी किया है. आरबीआई ने नवंबर महीने का मुद्रास्फीति 5.55 फीसदी रही, जबकि अक्टूबर में यह चार महीने के निचले स्तर 4.87 फीसदी पर थी. इसके साथ ही आरबीआई गवर्नर और मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के प्रमुख शक्तिकांत दास ने नीतिगत निर्णयों की घोषणा करते हुए कहा था कि दिसंबर में मुद्रास्फीति में वृद्धि हो सकती है. वहीं, आरबीआई ने दिसंबर महीने के लिए इन्फ्लेशन रेट 5.4 फीसदी पर स्थिर रखा है.

इस साल कैसी रही महंगाई की मार

भारत में इन्फ्लेशन रेट (सीपीआई) के पहले के रिपोर्ट को देखते है, इससे तुलना करने में मदद मिलेगी.

  • 2023- 5.51 फीसदी (वहीं, इस साल जनवरी से मई तक औसत महंगाई -1.6 फीसदी रही)
  • 2022 - 6.7 फीसदी से 1.57 फीसदी
  • 2021- 5.13 फीसदी से 1.49 फीसदी
  • 2020 - 6.62 फीसदी से 2.89 फीसदी
  • 2019- 3.73 फीसदी से 0.21 फीसदी
  • 2018 - 3.94 फीसदी से 0.61 फीसदी
  • 2017- 3.33 फीसदी से 1.62 फीसदी
  • 2016- 4.95 फीसदी से 0.04फीसदी
  • 2015 4.91 फीसदी से 1.76 फीसदी
  • 2014 - 6.67 फीसदी से 3.35 फीसदी
  • 2013 - 10.02 फीसदी से 0.54 फीसदी

अक्टूबर में पब्लिश इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (आईएमएफ) के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, वेनेजुएला दुनिया में सबसे अधिक मुद्रास्फीति वाला देश है, जहां 2023 में उपभोक्ता कीमतों में 360 फीसदी की वृद्धि का अनुमान रहा है.

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