नई दिल्ली: विप्रो (Wipro) के चेयरमैन रिशद प्रेमजी ने बुधवार को कहा कि कंपनी ने 300 कर्मचारियों को प्रतिद्वंदी संस्थान के साथ काम करते हुए पाया है और उनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें कंपनी से निकाल (Wipro fires 300 staff for moonlighting) दिया है. उन्होंने कहा कि वह 'मूनलाइटिंग' (Moonlighting) को लेकर अपनी टिप्पणियों पर कायम हैं और यह कंपनी के प्रति निष्ठा का पूर्ण उल्लंघन है.
जब कोई कर्मचारी अपनी नियमित नौकरी के साथ ही कोई अन्य काम भी करता है तो उसे तकनीकी तौर पर मूनलाइटिंग कहा जाता है. प्रेमजी ने अखिल भारतीय प्रबंधन संघ (एआईएमए) के राष्ट्रीय सम्मेलन में कहा, 'वास्तविकता यह है कि आज ऐसे लोग हैं जो विप्रो के साथ प्रतिद्वंदी कंपनी के लिए भी काम कर रहे हैं. हमने वास्तव में पिछले कुछ महीनों में ऐसे 300 कर्मचारियों का पता लगाया है, जो सच में ऐसा कर रहे हैं.'
कंपनी के साथ-साथ प्रतिद्वंद्वी संस्थान के लिये काम करने वाले ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कार्यक्रम के दौरान अलग से कहा कि कंपनी के प्रति निष्ठा के उल्लंघन को लेकर उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया है. प्रेमजी ने कहा कि 'मूनलाइटिंग' की परिभाषा ही है कि गोपनीय तरीके से दूसरा काम करना. पारदर्शिता के तहत व्यक्ति सप्ताहांत में किसी परियोजना पर काम करने के बारे में स्पष्ट और खुली बातचीत कर सकते हैं.
प्रतिस्पर्धी कंपनियों के लिये गोपनीय तरीके से काम करने वाले कर्मचारियों के बारे में उन्होंने कहा, 'इसकी कोई गुंजाइश नहीं है कि कोई विप्रो के साथ उसके प्रतिस्पर्धी संस्थान के साथ भी काम करे.' गौरतलब है कि विप्रो के चेयरमैन की 'मूनलाइटिंग' पर हाल में टिप्पणी के बाद उद्योग में एक नई बहस शुरू हो गई है. प्रेमजी ने इस मुद्दे पर ट्विटर पर कहा, 'सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों में मूनलाइटिंग करने वाले कर्मचारियों के बारे में बहुत सारी बातें सामने आ रही हैं. यह सीधे और सरल रूप से धोखा है.'