नई दिल्ली :नौकरी करने वाले कर्मचारी के सैलरी से हर महीने EPF अकाउंट में एक निश्चित राशि जमा की जाती है. EPF के वर्तमान नियम के अनुसार यह कर्मचारी के मूल सैलरी और महंगाई भत्ते का 12- 12 प्रतिशत कॉन्ट्रीब्यूशन होता है. इस स्कीम को कर्मचारी के रिटायरमेंट प्लान के लिए शुरू किया गया. लेकिन अगर आपको लगता है कि आपका EPF आपके रिटायरमेंट जरुरतों को पूरी नहीं कर पाएगा तो आप VPF में इंवेस्ट कर सकते हैं.
VPF अकाउंट क्या होता है
VPF का फुल फॉर्म Voluntary Provident Fund होता है मतलब 'स्वैच्छिक भविष्य निधि'. जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है, VPF एक कर्मचारी द्वारा EPF में अपने मूल सैलरी के 12 प्रतिशत योगदान की सीमा से ऊपर अपनी इच्छा से किया जाने वाला अतिरिक्त योगदान है. अब मन में सवाल होगा कि VPF जरूरी क्यों है, आइए जानते हैं इस सवाल का जवाब...
EPF पूरी तरह से टैक्स फ्री नहीं, समझें कैलकुलेशन
सरकार ने बजट 2021 में EPF टैक्स के नियम को बदल दिया गया था. इस नियम के अनुसार अगर एक साल में किसी कर्मचारी का EPF (+VPF) अमाउंट 2.5 लाख से ज्यादा होता है. तो उस अतिरिक्त राशि (2.5 लाख रुपये से ऊपर) पर कर्मचारी को उसके टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स देना होगा. इसे उदाहरण से समझें- अगर आपके EPF अकाउंट में कुल 4 लाख रुपये जमा हैं (2.5+1.5= 4 Lakh) तो 2.5 लाख से ऊपर की जो राशि है 1.5 लाख रुपये, उस पर आपको टैक्स देना होगा. अगर आप 30 फीसदी टैक्स स्लैब में हैं तो पोस्ट-टैक्स रिटर्न 5.67 फीसदी होगा.
वहीं, VPF अकाउंट की तुलना सार्वजनिक भविष्य निधि (PPF) से की जाती है. लेकिन पीपीएफ में सालाना निवेश की एक लिमिट है. इसमें आप प्रति वर्ष 1.5 लाख रुपये से अधिक निवेश नहीं कर सकते है. जबकि VPF में इंवेस्ट करने की कोई अपर लिमिट नहीं है. इसलिए VPF को एक बेहतर इंवेस्टमेंट ऑप्शन माना जाता है. हालांकि पीपीएफ पर 7.1 प्रतिशत से इंटरेस्ट रेट मिलता है, जो अभी भी टैक्स- फ्री है.