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One Month After Hindenburg Report : हिंडनबर्ग रिपोर्ट के आने के एक महीने बाद भी अडाणी ग्रुप में गिरावट जारी - hinderburg report on adani group

हिंडनबर्ग रिपोर्ट को आए हुए एक महीने हो चुके हैं. अब भी अडाणी समूह के शेयरों के भाव लगातार नीचे जा रहे हैं. अडाणी ग्रुप की सात कंपनियों के भाव तेजी से गिर रहे हैं. उनकी कुल 10 कंपनियां शेयर मार्केट में लिस्टेड हैं. हिंडनबर्ग ने अडाणी ग्रुप पर शेयर मार्केट में हेरफेर और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगाए हैं. अडाणी ग्रुप इसे नकार चुका है. पिछले एक महीने में क्या-क्या हुआ, एक नजर.

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एंडरसन, अडाणी (डिजाइन फोटो)

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Published : Feb 24, 2023, 2:07 PM IST

नई दिल्ली : आज के एक महीने पहले यानी 24 जनवरी को अडाणी ग्रुप पर हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की. इसने अडाणी ग्रुप के शेयरों को ओवरवैल्यूड करार दिया. हिंडनबर्ग ने आरोप लगाए कि अडाणी ने स्टॉक मेन्युपुलेट किया है. इस रिपोर्ट के बाद अडाणी ग्रुप के शेयरों में भूचाल आ गया. एक महीने बाद आज अडाणी ग्रुप की अधिकांश कंपनियों के शेयर भावों में 85 फीसदी तक गिरावट आ चुकी है. आइए हम आपको विस्तार से बताते हैं कि इस दौरान क्या-क्या हुआ और आज अडाणी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों के भाव कहां तक गिर चुके हैं. सबसे पहले तो यहां यह भी बता दें कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने से पहले गौतम अडाणी दुनिया के तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति थे, जबकि आज की तारीख में वह 29 वें स्थान पर आ चुके हैं.

अमेरिकी शॉर्ट शेल कंपनी हिंडनबर्गने 24 जनवरी को अडाणी ग्रुप पर एक रिपोर्ट प्रकाशित कर कई आरोप लगाए. हिंडनबर्ग ने दावा किया कि अडाणी समूह ने शेल कंपनियां बनाकर स्टॉक्स में हेरफेर किए हैं. हिंडनबर्ग ने बताया कि अडाणी ग्रुप की सात कंपनियों के शेयर वैल्यू 85 फीसदी तक ओवर वैल्यूड हैं. इसका अर्थ यह होता है कि यदि आपकी कंपनी के एक शेयर की कीमत बाजार में 100 रुपये है, तो उसकी असली वैल्यू महज 15 रुपये है. इसने अडाणी समहू से कुल 88 सवाल पूछे थे. हिंडनबर्ग के आरोप के अनुसार - अडाणी ग्रुप ने कई शेल कंपनियों को स्थापित किया है और वह उनके जरिए निवेश करते हैं. इनमें कई कंपनियां मॉरिशस, साइप्रस, सिंगापुर और अरब देशों में हैं. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इनमें से कई कंपनियों को गौतम अडाणी के भाई देखते हैं. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि शेल कंपनियों का प्रयोग मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए किया जा रहा है. अडाणी प्राइवेट कंपनियों से पैसा लिस्टेड कंपनियों में लगा रहे हैं.

अडाणी ग्रुप ने इन आरोपों को तुरंत नकार दिया. कंपनी ने अपने बयान में कहा कि क्योंकि 27 जनवरी को उनका एफपीओ आने वाला है, इसलिए एक साजिश के तहत यह रिपोर्ट प्रकाशित की गई है.

बाबजूद उनके स्पष्टीकरण का असर बाजार पर नहीं पड़ा. अडाणी समूह के शेयरों के भाव गिरने लगे. वैसे, इन खबरों के बावजूद 30 जनवरी को इंटरनेशनल होल्डिंग कंपनी (आईएचसी), जो आबूधाबी की है, इसने अडाणी ग्रुप के एफपीओ में 3216 करोड़ रुपये निवेश करने की घोषणा कर दी. अडाणी का एफपीओ पूरी तरह से सब्सक्राइब्ड हो गया. पर अडाणी समूह ने अचानक ही इसे रद्द करने की घोषणा कर दी. यह चौंकाने वाला कदम था. इसके बाद यह खबर फैलने लगी कि कहीं सचमुच में तो कोई गड़बड़ी नहीं है.

28 जनवरी को मॉर्गन स्टेनली कैपिटल इंटरनेशनल ने अडाणी ग्रुप से उनकी कंपनियों के शेयरों को लेकर कुछ जानकारियां मांगीं. अडाणी की आठ कंपनियां इसमें लिस्टेड हैं. अडाणी ग्रुप के कहने पर मॉर्गन ने मूल्यांकन की प्रक्रिया बंद कर दी और बताया कि वह मई के बाद इन कंपनियों को इवेल्युएट करेगी.

29 जनवरी को अडाणी ग्रुप ने 413 पन्नों का जवाब दिया. हिंडनबर्ग ने इन जवाब को खारिज कर दिया. अडाणी ने तब यह भी कहा था कि यह भारत पर अटैक है. पर, बाजार में अडाणी ग्रुप के शेयर लगातार गिर रहे थे. यह गिरावट रूकने का नाम नहीं ले रही थी.

परिस्थितियों की गंभीरता को देखते हुए रिजर्व बैंक ने भी ग्रुप से जवाब मांगा. आरबीआई के बाद कई बड़े भारतीय बैंकों ने अडाणी ग्रुप से डिटेल जानकारी मांगी. एलआईसी ने भी जानकारी मांगी थी. अडाणी के लिए राहत की बात ये रही कि किसी भी बैंक ने निगेटिव रिपोर्ट नहीं दी. बल्कि इन्होंने बयान जारी किया कि अडाणी को दिए गए कर्ज से बैंकों की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ेगा. एलआईसी ने भी ऐसा ही बयान जारी किया. एलआईसी ने तो यहां तक कहा कि हमने तो अडाणी ग्रुप में किए गए निवेश से पैसा कमाया है.

स्विटजरलैंड की कंपनी क्रेडिट सुइस ने अडाणी ग्रुप के बॉन्ड को स्वीकार करने से इनकार कर दिया. इसका इस्तेमाल जमानत के रूप में किया जाता है. सिटीग्रुप बैंक ने भी ऐसी ही घोषणा की. हालांकि, मूडीज और फिच ने अडाणी ग्रुप को थोड़ी राहत प्रदान कर दी. इन एजेंसियों ने कहा कि अडाणी को दिया गया कर्ज इतना अधिक नहीं है कि इस पर चिंचा जताई जाए.

फिर भी अडाणी समूह ने घोषणा की कि वह पहले पुराने कर्ज को चुकाएगा, उसके बाद ही नई डील की घोषणा करेगा. अडाणी ने कुछ डील को कैंसिल भी कर दिया. डीबी पावर की डील भी उन्हीं में से एक है. यूपी सरकार ने अडाणी ग्रुप के साथ की गई डील कैंसिल कर दी. यह डील मध्यांचल विद्युत डिस्ट्रीब्यूशन कॉरपोरेशन को लेकर थी. इसी तरह से ओरिएंड सीमेंट ने भी अडाणी ग्रुप से डील रद्द कर दी.

अडाणी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों के भावों में कितनी आई गिरावट- एक नजर

अडाणी ग्रीन- इसके शेयर की कीमत 486.50 रुपये है, जबकि एक महीने पहले इसकी कीमत 1916.80 रुपये थी. यदि इसके शेयर पर लोअर सर्किट नहीं लगता, तो इसका वैल्यू और अधिक नीचे जा सकता था. एक समय में इस कंपनी के शेयर की कीमत 3048 रुपये तक चली गई थी. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस कंपनी का मार्केट कैप एक लाख करोड़ कम हो गया है.

इसी तरह से अडाणी ट्रांसमिशन के शेयर की कीमत 712.30 रुपये है. एक महीने पहले इसकी कीमत 2762.15 रुपये थी.

अडाणी टोटल गैस- अभी इस कंपनी के शेयर की कीमत 751.80 रुपये है. एक महीने पहले इसकी कीमत 3871.75 रुपये थी. इस पर भी लोअर सर्किट लगा हुआ है. मार्केट वैल्यू की बात करें तो यह एक लाख करोड़ से भी कम हो गई है, जबकि 24 जनवरी को इसका मार्केट वैल्यू 4.3 लाख करोड़ था.

अडाणी एंटरप्राइजेजके शेयर की कीमत एक महीने पहले 3442 रुपये थी, जबकि अभी इसकी कीमत 1372.65 रुपये हो गई है. अडाणी बिल्मरके एक शेयर की कीमत 370.10 रुपये है, जबकि इसकी कीमत एक महीने पहले तक 572.65 रुपये थी. अडाणी पावरके शेयर की कीमत 147 रुपये है, जबकि एक महीने पहले इसकी कीमत 275 रुपये थी. अंबुजा सीमेंट्स के शेयर की कीमत 342.30 रुपये है, जबकि एक महीने पहले इसकी कीमत 499 रुपये थी. एसीसीके शेयर की कीमत 1725 रुपये है, जबकि एक महीने पहले इसकी कीमत 2336 रुपये थी. एनडीटीवी के स्टॉक की कीमत 195 रुपये हो चुकी है, जबकि एक महीने पहले इसकी कीमत 284 रुपये थी. अडाणी ग्रुप की 10 कंपनियां शेयर मार्केट में लिस्टेड हैं.

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