2023 में NBFI के अनसिक्योर्ड लोन सिक्योर्ड लोन की तुलना में काफी तेजी से बढ़े: RBI
आरबीआई की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि अनसिक्योर्ड लोन के कारण 2022-23 में Non-bank financial institution की बैलेंस शीट में विस्तार की गति तेज हो गई है. पढ़ें पूरी खबर... ( rbi deputy governor, swaminathan janakiraman, bank loans, nbfc, non banking financial companies, rbi risk weights, rbi governor shaktikanta das)
मुंबई :भारत में बैंकिंग की प्रवृत्ति और प्रगति पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की रिपोर्ट के अनुसार, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (Non-bank financial institution) के अनसिक्योर्ड लोन में पिछले साल की तुलना में सिक्योर्ड लोन में 2023 में तेजी से वृद्धि हुई है. कुल एनबीएफसी लोनों में सुरक्षित ऋण की हिस्सेदारी मार्च 2022 के अंत में 72.4 प्रतिशत से गिरकर मार्च 2023 के अंत में 69.5 प्रतिशत हो गई, जबकि इसी अवधि में अनसिक्योर्ड लोन की हिस्सेदारी 27.6 प्रतिशत से बढ़कर 30.5 प्रतिशत हो गई.
NBFI में सिक्योर्ड लोन की हिस्सेदारी अपेक्षाकृत अधिक नॉन डिपॉजिट लेने वाली प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण एनबीएफसी (एनबीएफसी-एनडी-एसआई) के विपरीत, जमा लेने वाली एनबीएफसी (एनबीएफसी-डी) के लोन पोर्टफोलियो में सिक्योर्ड लोन की हिस्सेदारी अपेक्षाकृत अधिक है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल मिलाकर, बैंकिंग प्रणाली में अनसिक्योर्ड लोन की वृद्धि 2023 में 28.1 प्रतिशत रही, जो सिक्योर्ड लोन की 11.5 प्रतिशत की वृद्धि के दोगुने से भी अधिक है.
डिप्टी गवर्नर जताई चिंता PTI भाषा की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जे. ने बैंकों की बल्क डिपॉजिट पर निर्भरता की बढ़ती प्रवृत्ति को बृहस्पतिवार को रेखांकित किया, डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन ने कहा कि इससे लागत बढ़ती है और मुनाफा प्रभावित होता है. स्वामीनाथन ने बैंकों से अपने ब्याज दर जोखिमों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने का आग्रह किया और कहा कि यदि वे अधिक राशि वाले थोक जमा पर बहुत अधिक निर्भर रहेंगे तो उनके लिए स्थिति कठिन हो जाएगी.
शुद्ध ब्याज मुनाफे पर पड़ेगा असर
उन्होंने कहा कि जब ब्याज दरों में गिरावट आती है, तब भी इन दीर्घकालिक जमा को प्रबंधित करना होगा अन्यथा इससे मुनाफा कम हो सकता है. स्वामीनाथन ने यहां भारतीय स्टेट बैंक द्वारा आयोजित एक आर्थिक शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि सबसे अधिक असर शुद्ध ब्याज मुनाफे पर होगा, जिससे लाभ कम हो जाएगा. आरबीआई के डिप्टी गवर्नर ने इसे एक बड़े जोखिम के रूप में चिह्नित करते हुए कहा कि नियामक ने पाया कि कई बैंक आईटी पर बजटीय राशि भी खर्च नहीं कर रहे हैं. स्वामीनाथन ने बैंकों में खराब काम काज के तरीकों तथा प्रबंधन प्रक्रियाओं का मुद्दा भी उठाया.