नई दिल्ली : भारत के जाने- माने बिजनेस टाइकून गौतम अडाणी इन दिनों विवादों में घिरे हुए हैं. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद ही ये सिलसिला शुरू हुआ जो अब तक जारी है. रिपोर्ट आने के बाद से ही उनके शेयरों में गिरावट लगातार जारी है, जिस कारण से अडाणी समूह की दौलत लगभग आधी से भी कम हो गई है. वह फोर्ब्स बिलेनियर की लिस्टमें 24वें पायदान पर खिसक गए हैं. उनकी नेट वर्थ कम होते- होते 49.7 बिलियन डॉलर रह गई है. मीडिया रिपोर्ट के हवाले से बताया जाता है कि उन पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI), पंजाब नेशनल बैंक (PNB), बैंक ऑफ बड़ौदा (BOB) और जम्मू व कश्मीर बैंक समेत अन्य सोर्स से कर्ज लिए हुए हैं.
अडाणी ग्रुप पर कुल कितना कर्ज है?
वैश्विक ब्रोकरेज फर्म CSLR के अनुसार, Adani Group पर कुल दो लाख करोड़ रुपये का कर्ज है. इस टोटल कर्ज में भारतीय बैंको की हिस्सेदारी 40 फीसदी यानि 80 हजार करोड़ से भी कम है. इसमें भी Private Bank से लिया गया कर्ज का प्रतिशत 10 फीसदी से भी कम है. हालांकि वैश्विक फर्म जेफरिन की तरफ से राहत भरी खबर दी गई है, उनके अनुसार अडाणी समूह को बैंकों द्वारा दिया गया कर्ज तय सीमा के भीतर ही है. गौरतलब है कि अडाणी समूह पर कर्ज की रकम तीन साल में ही दोगुनी हुई है.
अडाणी समूह की दो कंपनियां Adani Enterprises और Adani Ports and Special Economic Zone, इनके करीब 50 बिलियन रुपये या 605 मिलियन डॉलर के कॉमर्शियल पेपर मार्च में मैच्योर होने वाले थे. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अडाणी ग्रुप इस बात के लिए बाध्य हुआ कि वह इनका एडवांस पैमेंट करें. गौरतलब है कि अडाणी समूह ने पिछले दो साल के भीतर जितने भी कर्ज के ऑप्शन (कॉमर्शियल पेपर, बॉण्ड, शॉर्ट टर्म बॉण्ड और स्टॉक के बदले कर्ज) थे सबका इस्तेमाल कर्ज लेने के लिए किया. इस तरह कर्ज का पहाड़ खड़ा हो गया.
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अडाणी ग्रुप कर्ज उतरने के लिए क्या कर रही
1. अडाणी ग्रुप, तत्काल पूरा होने वाले कॉमर्शियल पेपर के कर्ज को चुकाने का प्लान बना रही है. इसके साथ ही कंपनी ने कहा है कि वह प्राइवेट प्लेसमेंट, प्राइवेट पूंजी या फिर अन्य तरीके से पूंजी जुटा कर बॉन्ड का भुगतान करेंगे. गौरतलब है कि साल 2024, जून माह के अंत में अडाणी ग्रीन एनर्जी का एक बॉन्ड आने वाला है. इस बॉन्ड पर बाजार का मिजाज काफी हद तक निर्भर करेगा साथ ही कंपनी की साख भी.