मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को कहा कि हाल ही में अनसिक्योर्ड माने जाने वाले कुछ लोन के मानदंडों को कड़ा करना बैंक व्यवस्था को सुचारू बनाये रखने के मकसद से सोच-समझकर लिया गया एहतियाती और लक्षित कदम है. दास ने उद्योग मंडल फिक्की (फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री) और भारतीय बैंक संघ के संयुक्त रूप से आयोजित सालाना एफआई-बीएसी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आरबीआई ने गृह और वाहन खरीद के अलावा छोटे कारोबारियों द्वारा लिये जाने वाले कर्जों को इससे अलग रखा है. इसका कारण उन्हें वृद्धि के मोर्चे पर जो लाभ हो रहा है, उसे बनाये रखना है.
उन्होंने कहा कि हमने हाल ही में व्यवस्था को सुचारू बनाये रखने को ध्यान में रखकर सोच-विचारकर कुछ उपायों की भी घोषणा की है. ये उपाय एहतियाती हैं. ये उपाए सोच-विचारकर और लक्ष्य के हिसाब से किये गये हैं. उन्हें फिलहाल बैंकों में कोई नया दबाव उत्पन्न होता नहीं दिख रहा है, लेकिन वे चाहते हैं कि बैंक सतर्क रहे और दबाव परीक्षण जारी रखे. गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि कुछ गैर-बैंक वित्त कंपनियां-सूक्ष्म वित्त संस्थान (एनबीएफसी-एमएफआई) उच्च ब्याज मार्जिन की सूचना दे रहे हैं. आरबीआई ने उन्हें विवेकपूर्ण तरीके से दरों को निर्धारित करने में लचीला रुख अपनाने को कहा है.