नई दिल्ली : भारत का सेमी-कंडक्टर आयात पिछले तीन सालों में दोगुना हो गया है. इसमें मोनोलिथिक इंटीग्रेटेड सर्किट या माइक्रो-चिप्स, फ्लैश मेमोरी, एम्पलीफायर और माइक्रो-इलेक्ट्रॉनिक सर्किट जैसे प्रोडक्ट शामिल हैं. इस आयात बढ़ोत्तरी को देखते हुए सरकार विदेशी कंपनियों को भारत में निवेश करने के लिए आमंत्रित कर रही है. ताकि सेमीकंडक्टर के मामले में दूसरे देशों पर उसकी निर्भरता कम हो सके. जिसमें माइक्रोन टेक्नोलॉजी इंक, एप्लाइड मैटेरियल्स और फॉक्सकॉन जैसे विदेशी निर्माताओं और पैकेजर्स शामिल हैं.
नवीनतम आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भारत ने वित्त वर्ष 2020-21 में 37,354 करोड़ रुपये के मोनोलिथिक इंटीग्रेटेड सर्किट या माइक्रोचिप्स का आयात किया. जो अगले साल बढ़कर 60,000 करोड़ रुपये हो गया. यह आयात साल 2022-23 में बढ़कर 82,000 करोड़ रुपये के आंकड़ें तक पहुंच गया है. इसी तरह, कंप्यूटर, लैपटॉप, स्मार्ट फोन और यूएसबी ड्राइव के लिए रैंडम एक्सेस मेमोरी (रैम) जैसी फ्लैश मेमोरी का आयात पिछले तीन वर्षों में 6,728 रुपये से बढ़कर 22,845 करोड़ रुपये हो गया है.
इन उत्पादों का कुल आयात जिसमें एम्पलीफायर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक सर्किट भी शामिल हैं, वित्त वर्ष 2020-21 में 67,497 करोड़ रुपये से बढ़कर अगले वर्ष 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है और पिछले वर्ष यह बढ़कर लगभग 1.3 लाख करोड़ रुपये हो गया है.
चीन से बढ़ा सेमीकंडक्टर का आयात
सूचना और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर द्वारा संसद में पेश किए गए आंकड़ों से पता चला है कि माइक्रो-चिप्स (मोनोलिथिक इंटीग्रेटेड सर्किट) का आयात वित्त वर्ष 2020-21 में 14,484 करोड़ रुपये से बढ़कर पिछले वित्तीय वर्ष में लगभग 31,000 करोड़ रुपये हो गया है, जो 100 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि है. फ्लैश मेमोरी, एम्पलीफायर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक सर्किट सहित इस श्रेणी के तहत चीन से कुल आयात वित्त वर्ष 2020-21 में 24,604 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में 37,681 करोड़ रुपये हो गया है. हालांकि भारत के कुल सेमीकंडक्टर आयात में चीन की हिस्सेदारी 30 प्रतिशत से भी कम है. चीन की हिस्सेदारी 36 प्रतिशत से घटकर 29 प्रतिशत हो गई है.