नई दिल्ली:सरकार सहारा-सेबी रिफंड खाते के अनक्लेम्ड धन को भारत के कंसोलिडेट फंड में ट्रांसफर करने की लीगैलिटी पर विचार कर रही है. इसके बाद दावा करने वाले निवेशकों को धन वापस करने का प्रोविजन है. पिछले सप्ताह सहारा समूह के संस्थापक सुब्रत रॉय की मृत्यु ने इस फंड पर सवाल खड़ा कर दिया है. इसकी स्थापना के बाद से एक दशक में रिफंड के लिए कुछ ही दावेदार सामने आए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के एक आदेश को बरकरार रखा है. समूह इकाइयों सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्प और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्प को पूंजी बाजार में जमा धनराशि को निवेशकों को ब्याज सहित वापस करने का निर्देश दिए.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर दिए गए विवरण के सत्यापन के बाद, (सेबी) सभी या किसी भी ग्राहक के ठिकाने का पता लगाने में असमर्थ है, तो ऐसे ग्राहकों से एकत्र की गई राशि भारत सरकार को सौंपी जाएगी. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक निवेशकों को धन वापस करने के लिए एक अलग खाते के साथ राशि को भारत की समेकित निधि में ट्रांसफर करने का विकल्प तलाशा जा सकता है. सेबी के तहत समर्पित रिफंड खाते में फैसले के 11 साल बाद भी दावेदार मुश्किल से ही आगे आए हैं. फंड का इस्तेमाल गरीब समर्थक कार्यक्रमों या किसी अन्य सार्वजनिक कल्याण के लिए किया जा सकता है. निवेशकों को धन वापस करने के लिए एक अलग विंडो स्थापित करते समय ऐसा किया जा सकता है और इस मुद्दे की कानूनी जांच की जाएगी.