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RBI News : विदेशों में लेनदेन के लिए रुपये का इस्तेमाल करने के लिए RBI की पहल - r s Ratho

RBI के कार्यकारी निदेशक Radha Shyam Ratho की अध्यक्षता वाले अंतर विभागीय समूह- IDG ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि रुपये का अंतरराष्ट्रीयकरण एक प्रक्रिया है, जिसमें अतीत में उठाये गये सभी कदमों को आगे बढ़ाने के लिये निरंतर प्रयास किये जाने की जरूरत है.

RBI committee suggestions to make rupee as international currency
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा रुपये

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Published : Jul 5, 2023, 7:57 PM IST

मुंबई :भारतीय रिजर्व बैंक की एक समिति ने बुधवार को रुपये को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बनाने के लिये कई अल्पकालीन और दीर्घकालीन सुझाव दिये. इन सुझावों में भारतीय रुपये को अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) समूह में शामिल करने और सीमापार व्यापारिक लेनदेन के लिये आरटीजीएस (रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट) का अंतर्राष्ट्रीय इस्तेमाल करना शामिल है. इसके अलावा रुपये में व्यापार निपटान के लिये निर्यातकों को युक्तिसंगत प्रोत्साहन देने की सिफारिश भी की गई है.

एसडीआर मुद्राकोष के सदस्य देशों के आधिकारिक मुद्रा भंडार के पूरक के तौर पर बनाई गई एक अंतरराष्ट्रीय आरक्षित संपत्ति है. एसडीआर समूह से किसी देश को जरूरत के समय नकदी दी जाती है. एसडीआर में अमेरिकी डॉलर, यूरो, चीनी युआन, जापानी येन और ब्रिटिश पाउंड शामिल हैं. आरबीआई के कार्यकारी निदेशक आर एस राठो की अध्यक्षता वाले अंतर विभागीय समूह (आईडीजी) ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि रुपये का अंतरराष्ट्रीयकरण एक प्रक्रिया है, जिसमें अतीत में उठाये गये सभी कदमों को आगे बढ़ाने के लिये निरंतर प्रयास किये जाने की जरूरत है.

समिति ने अल्पकालिक उपायों के तौर पर भारतीय रुपये और स्थानीय मुद्राओं में बिल बनाने, निपटान और भुगतान को लेकर द्विपक्षीय और बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था पर प्रस्तावों की जांच करने का सुझाव दिया है. इसके अलावा भारत तथा भारत के बाहर दोनों जगह प्रवासियों (विदेशी बैंकों के नोस्ट्रो खातों के अलावा) के लिये रुपया खाता खोलने को प्रोत्साहित करने को एक रूपरेखा तथा एक मानकीकृत दृष्टिकोण अपनाने की भी सिफारिश की गयी है.

वित्तीय बाजारों को मजबूत करने का सुझाव
नोस्ट्रो खाता से आशय उस खाते से है जो एक बैंक दूसरे बैंक में विदेशी मुद्रा के रूप में रखता है. समिति ने सीमापार लेनदेन के लिये अन्य देशों के साथ भारतीय भुगतान प्रणालियों को एकीकृत करने और वैश्विक स्तर पर पांचों कारोबारी दिन 24 घंटे काम करने वाले भारतीय रुपया बाजार को बढ़ावा देकर वित्तीय बाजारों को मजबूत करने का सुझाव दिया है. साथ ही भारत को रुपये में लेनदेन और मूल्य खोज के केंद्र के रूप में बढ़ावा देने की भी सिफारिश की है.

रिपोर्ट के मुताबिक, एफपीआई व्यवस्था को व्यवस्थित करने और मौजूदा 'अपने ग्राहक को जानें'- KYC दिशानिर्देशों को तर्कसंगत बनाने तथा रुपये में व्यापार निपटान के लिये निर्यातकों को प्रोत्साहन देने की भी आवश्यकता है. समिति ने मध्यम अवधि की रणनीति के तहत मसाला बॉन्ड (विदेशों में रुपये मूल्य में जारी होने वाले बॉन्ड) पर करों की समीक्षा करने का सुझाव दिया है. साथ ही सीमापार व्यापारिक लेनदेन के लिये आरटीजीएस के अंतर्राष्ट्रीय उपयोग तथा सतत संबद्ध निपटान- CLS प्रणाली के अंतर्गत प्रत्यक्ष निपटान मुद्रा के रूप में रुपये को शामिल करने की जरूरत बताई गई है.

सीएलएस व्यवस्था विदेशी मुद्रा लेनदेन के निपटान से जुड़े जोखिम को कम करने के लिये तैयार की गयी है. इसके अलावा, भारत और अन्य वित्तीय केंद्रों की कर व्यवस्थाओं में सामंजस्य स्थापित करने को लेकर वित्तीय बाजारों में कराधान के मुद्दों पर गौर करना और भारतीय बैंकों की विदेशों में स्थित शाखाओं के माध्यम से भारतीय रुपये में बैंक सेवाओं की अनुमति देने का भी सुझाव दिया गया है.

रिजर्व बैंक के इस अंतर-विभागीय समूह का गठन दिसंबर 2021 में किया गया था. इसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के रूप में रुपये की मौजूदा स्थिति की समीक्षा करना और भारतीय रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण को लेकर एक रूपरेखा बनाना था. आरबीआई ने कहा कि यह रिपोर्ट और इसकी सिफारिशें अंतर-विभागीय समूह की सोच है और किसी भी तरह से केंद्रीय बैंक के आधिकारिक रुख को प्रतिबिंबित नहीं करता है. इन सिफारिशों को क्रियान्वित करने के लिये उस पर गौर किया जाएगा.

(भाषा)

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