नई दिल्ली :रिलायंस कैपिटल (आरसीएपी) के कर्जदाता 26 अप्रैल को दूसरे दौर की नीलामी से पहले बोली लगाने वालों की चिंताएं दूर करने के लिए सोमवार को बैठक करेंगे. हिंदुजा समूह के टोरेंट इन्वेस्टमेंट और इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स लिमिटेड (आईआईएचएल) ने निर्धारित नीलामी और इसकी शर्तो पर कई आपत्तियां जताई हैं.
दोनों बोलीदाताओं ने कथित तौर पर लेनदारों की समिति (सीओसी) को बताया है कि जब तक उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों को हल नहीं किया जाता है, तब तक नीलामी में भाग लेने की संभावना नहीं है. दोनों बोलीदाता अंतिम रूप चाहते हैं और दूसरे दौर की नीलामी समाप्त होने के बाद मूल्य या नियमों और शर्तो पर कोई बातचीत नहीं होती है. दूसरी ओर, रिलायंस कैपिटल के दो सबसे बड़े ऋणदाता - इंप्लॉई प्रोविडेंट फंड आर्गनाइजेशन (EPFO) और LIC इस तरह का कोई भी उपक्रम देने के खिलाफ हैं.
नीलामी के दूसरे दौर में अंतिम बोली मूल्य 13,000 करोड़ रुपये के परिसमापन मूल्य से कम होने की स्थिति में दोनों ऋणदाता आगे की बातचीत के लिए जगह बनाना चाहते हैं. EPFO और LIC सामूहिक रूप से सीओसी में 30 फीसदी से अधिक मतदान अधिकार रखते हैं. IIHL ने कहा है कि नीलामी में भाग लेने वाले बोलीदाताओं को एक वचन देना चाहिए कि वे चैलेंज मैकेनिज्म प्रक्रिया के बाहर बोली नहीं देंगे. इसी तरह, बोली लगाने वाले भी सीओसी से एक अंडरटेकिंग चाहते हैं कि उनके द्वारा चैलेंज मैकेनिज्म के बाहर की किसी भी बोली पर विचार नहीं किया जाएगा.
टोरेंट ने हर दौर के बाद घोषित करने का अनुरोध किया है कि अगले दौर में कितने बोलीदाता भाग ले रहे हैं और उनकी बोली का मूल्य क्या है. नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) की मुंबई-पीठ ने आरकैप की समाधान प्रक्रिया को पूरा करने की समय सीमा तीन महीने बढ़ाकर 16 जुलाई कर दी है.
(आईएएनएस)
पढ़ें :Reliance Q4 Results : रिलायंस मार्च तिमाही में हुआ मालामाल, कमाए रिकॉर्ड 19,299 करोड़ रुपये लाभ