मुंबई :भारतीय दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता बोर्ड (Insolvency and Bankruptcy Board of India) के चेयरमैन रवि मित्तल ने प्रक्रियागत विलंब को कम करने में मददगार उपायों के बारे में सभी पक्षों से सुझाव देने का शनिवार को अनुरोध किया. मित्तल ने यहां उद्योग मंडल एसोचैम की तरफ से 'दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (Insolvency and Bankruptcy Code-IBC) और मूल्यांकन' पर आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, 'आईबीसी का प्रमुख उद्देश्य न केवल बकाया कर्ज की वसूली बल्कि पुनरुद्धार और पुनर्वास भी है. हमेशा इसकी संकल्पना एक समाधान व्यवस्था के रूप में की गई थी, न कि वसूली प्रणाली के रूप में.'
उन्होंने कहा, 'यह कानून लाने का उद्देश्य कंपनी को पटरी पर वापस लाने का था. हालांकि आईबीसी का मूल्यांकन वसूली के आधार पर किया जाता है.' आईबीबीआई चेयरमैन ने आईबीसी आने पर भी कर्ज वसूली में हो रही देरी और कम वसूली पर जताई गई चिंताओं पर कहा, 'हम प्रक्रिया को तेज करने की कोशिश कर रहे हैं और हितधारकों के सुझावों को लेकर खुली सोच रखते हैं. आईबीसी का प्रत्यक्ष लाभ वसूली है लेकिन आप जानते हैं कि अप्रत्यक्ष लाभ कहीं बड़ा होता है और इसे व्यावहारिक परिवर्तन कहा जाता है। इसे कर्जदाता एवं कर्जदार के रिश्ते में बदलाव कहा जाता है.'