नई दिल्ली : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने 19 मई को 2000 रुपये के नोट चलन से बाहर करने का ऐलान किया. हालांकि RBI ने इन नोटों को बैंक में जाकर बदलने के लिए 30 सितंबर का समय दिया है. यानी आम जनता के पास नोटों को बदलने के लिए 4 महीने का समय है. 30 सितंबर के बाद ये नोट वैध नहीं रहेंगे. लेकिन ऐसे में सवाल उठता है कि इन नोटों को बंद करने से भारत की अर्थव्यवस्था पर कैसा असर पड़ेगा. क्या आरबीआई का यह फैसला भारतीय अर्थव्यवस्था के हित में है या इससे नुकसान होगा. आइए जानते हैं इन मामलों पर एक्सपर्ट की राय...
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
आरबीआई के 2000 रुपये के नोटबंदी फैसले को लेकर एक्सपर्ट्स की राय अलग-अलग है. कुछ विश्लेषक और अर्थशास्त्री इसे भारतीय अर्थव्यवस्था के हित में मानते हैं, तो कुछ इसे अहित के रुप में देख रहे हैं...
1. एलएंडटी फाइनेंस होल्डिंग्स ग्रुप के मुख्य अर्थशास्त्री रूपा रेगे नित्सुरे ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, ' 2,000 रुपये का नोट वापस लिए जाना 'बहुत बड़ी घटना' नहीं है और इससे अर्थव्यवस्था या मॉनिट्ररी पॉलिसी पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ेगा. क्योंकि पिछले 6-7 सालों में देश में डिजिटल लेन-देन और ई-कॉमर्स का दायरा काफी बढ़ गया है.'
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2. क्वांटिको रिसर्च की एक इकॉनोमिस्ट युविका सिंघल का मानना है कि आरबीआई के इस फैसले का असर कृषि और निर्माण जैसे छोटे व्यवसायों पर पड़ सकता है. इसके अलावा वैसे क्षेत्रों मे भी इसका असर देखा जा सकता है, जहां आज भी डिजिटल ट्रांजेक्शन के मुकाबले ज्यादा लोग नकदी का इस्तेमाल करते हैं. ऐसे स्थानों पर लोगों को असुविधा का सामना करना पड़ सकता है.
3. वहीं, कुछ विश्लेषकों और अर्थशास्त्रियों ने कहा कि सरकार और केंद्रीय बैंक ने 2000 रुपये के नोट बंद करने का सही कारण तो अब तक नहीं बताया है. लेकिन आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों से पहले इस तरह का निर्णय लेना बुद्धिमानी भरा फैसला है, क्योंकि चुनाव के दौरान प्रचार और जनता को लुभाने में आमतौर पर नकदी का इस्तेमाल बढ़ जाता है.
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2016 की तरह इन सामानों में बढ़ेगा निवेश
नवंबर 2016 में 500 और 1000 रुपये की नोटबंदी की घोषणा के बाद रियल एस्टेट और सोने जैसी महंगी चीजों की मांग बढ़ने लगी थी. एक बार फिर वैसे ही अनुमान लगाए जा रहे हैं क्योंकि जिनके पास 2000 रुपये के नोट ज्यादा होंगे, वो एक्सचेंज लिमिट की वजह से गहनों और जमीन में इंवेस्ट करना चाहेंगे. इसके अलावा बाजार में छोटे नोटों की मांग भी बढ़ जाएगी. ऐसा ही कुछ साल 2016 में हुई नोटबंदी के बाद भी देखा गया था. लोग ज्यादा से ज्यादा पैसा रियल स्टेट और सोने चांदी जैसी चीजों में लगाने लगे थे.
बाजार में इतने 2000 रुपये के नोट
आरबीआई के आकड़ों के अनुसार भारत में 31 लाख 33 हजार करोड़ रुपये की करेंसी चलन में है. जिसमें से 3 लाख 13 हजार रुपये मूल्य की करेंसी 2000 रुपये के नोट हैं. इसका वर्तमान में मौजूद कुल नोटों में 10.8 फीसदी हिस्सेदारी है. जो कि साल 2018 में 37.3 फीसदी था. आरबीआई के डेटा अनुसार 2000 रुपये की नोट की तुलना में छोटे नोट से ट्रांजेक्शन अधिक किया जा रहा था. जिसके चलते आरबीआई ने 2019 में ही 2000 रुपये के नोटों की छापाई बंद कर दी थी और अब इन नोटों को क्लीन नोट पॉलिसी क तहत चलन से बाहर करने का फैसला किया है.
बाजार में 2000 रुपये के नोट कितने हैं क्या है क्लीन नोट पॉलिसी
क्लीन नोट पॉलिसी के तहत आरबीआई यह सुनिश्चित करता है कि अच्छे क्वालिटी के बैंक नोट लोगों तक पहुंचे. साथ ही इस पॉलिसी के माध्यम से देश की करेंसी सिस्टम को शुद्ध बनाए रखने की कोशिश की जाती है. Clean Note Policy के तहत डैमेज, नकली और गंदे नोटों को हटाकर उसकी जगह मार्केट में साफ व बेहतर नोटों की सप्लाई करके भारतीय मुद्रा की अखंडता को बनाए रखा जाता है.
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