मुंबई:भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति ने सरकार को भेजी जाने वाली रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के लिए गुरुवार को बैठक की. इस रिपोर्ट में बताया जाएगा कि इस वर्ष जनवरी से लगातार तीन तिमाहियों में वह खुदरा मुद्रास्फीति को छह फीसदी की संतोषजनक सीमा से नीचे रखने में क्यों विफल रही है. सूत्रों ने बताया कि यह रिपोर्ट सरकार को भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम के मुताबिक सौंपी जाएगी.
छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के अध्यक्ष रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास हैं. अन्य सदस्यों के अलावा इस समिति में आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्रा और आरबीआई के कार्यकारी निदेशक राजीव रंजन भी शामिल हैं. छह साल पहले मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का गठन होने के बाद पहली बार भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) लगातार नौ महीनों तक मुद्रास्फीति को निर्धारित दायरे में नहीं रख पाने पर एक रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंपेगा.
वर्ष 2016 में मौद्रिक नीति निर्धारण के एक व्यवस्थित ढांचे के रूप में एमपीसी का गठन किया गया था. उसके बाद से एमपीसी ही नीतिगत ब्याज दरों के बारे में निर्णय लेने वाली सर्वोच्च इकाई बनी हुई है. एमपीसी ढांचे के तहत सरकार ने आरबीआई को यह जिम्मेदारी सौंपी थी कि मुद्रास्फीति चार प्रतिशत (दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ) से नीचे बनी रहे. हालांकि, इस साल जनवरी से ही मुद्रास्फीति लगातार छह प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है.