नई दिल्ली :भारतीय रिजर्व बैंक कीतीन दिनों तक चलने वाली मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक आज समाप्त हो गई. इसी के आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने घोषणा की है कि रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है. वैश्विक आर्थिक हालातों को और महंगाई को ध्यान में रखते हुए रिजर्व बैंक ने यह फैसला लिया है. छह सदस्यों वाली समिति ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया है.
ग्रोथ को लेकर RBI का अनुमान
वित्त वर्ष 2024 के लिए आरबीआई ने आर्थिक विकास दर में इजाफा ना करते हुए इसे 6.4 फीसदी से 6.5 फीसदी कर दिया है. इस तरह आरबीआई को ग्रोथ में हल्की बढ़ोतरी का भरोसा है.
महंगाई पर क्या बोले आरबीआई गवर्नर
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि 'महंगाई के मोर्चे पर देश के केंद्रीय बैंक के सामने अभी भी कई चुनौतियां हैं और हमारा काम अभी खत्म नहीं हुआ है. जब तक महंगाई दर आरबीआई के तय लक्ष्य के करीब या इसके तहत नहीं आ जाता है, हमें लगातार काम करना होगा.'
भारत में महंगाई का ट्रेंड :फरवरी में हुए MPC मीटिंग में आरबीआई ने एक बार फिर 0.25 बेसिस प्वॉइंट से रेपो रेट बढ़ाया था. जो कि मई 2022 से कुल छठीं बार बढ़ोत्तरी करते हुए 2.5 फीसदी से बढ़ा था. लेकिन इसके बावजूद महंगाई ज्यादातर समय रिजर्व बैंक के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है. नवंबर और दिसंबर, 2022 में छह प्रतिशत से नीचे रहने के बाद खुदरा महंगाई जनवरी में आरबीआई के संतोषजनक स्तर को पार कर गई.
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित महंगाई जनवरी में 6.52 फीसदी और फरवरी में 6.44 फीसदी थी. गौरतलब है कि रेपो रेट वह दर है जिस पर आरबीआई कामर्शियल बैंको को लोन देती है. सरकार मंहगाई को काबू में करने के लिए रेपो रेट में बढ़ोत्तरी करती है.
रेपो रेट को लेकर अमेरिकी केंद्रीय बैंक का रूख :मार्च 2023 में एक सप्ताह के अंदर अमेरिका के दो बड़े बैंक डूब गए. जिसमें से एक वहां का 16वां सबसे बड़ा बैंक सिलिकॉन वैली बैंक और दूसरा सिग्नेचर बैंक था. इन बैंकों के डूबने के बाद यूरोप में भी बैंकिंग संकट पहुंच गया. स्विट्जरलैंड का स्विस बैंक दिवालिया होगा. दुनिया भर में बैंकिंग सेक्टर के शेयर गिरने लगे. ऐसी विषम परिस्थिति में भी अमेरिका के केंद्रीय बैंक ने फरवरी में रेपो रेट को बढ़ाया. बैंक का मुख्य फोकस महंगाई को काबू में करना है. इसी के साथ उम्मीद थी कि आरबीआई भी रेपो रेट में बढ़ोत्तरी करेगा.
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