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86 साल के हो गए रतन टाटा, जानिए उनकी जिंदगी से जुड़े कई किस्से

Happy Birthday Ratan Tata : आज देश के सबसे बड़े और सम्मानित उद्योगपतियों की लिस्ट में शुमार टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा का जन्मदिन है. उनके जन्मदिन के मौके पर आज इस खबर के जरिए आपकों जानने को मिलेगा कि आखिर रतन टाटा ने ताउम्र अविवाहीत रहने का फैसला क्यों लिया, कैसे टाटा समूह को पूरी दुनिया में पहचान मिली और भी बहुत कुछ. पढ़ें पूरी खबर...

Happy Birthday Ratan Tata
जन्मदिन मुबारक हो रतन टाटा

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 28, 2023, 10:26 AM IST

Updated : Dec 28, 2023, 2:07 PM IST

नई दिल्ली:रतन नवल टाटा, जिन्हें आमतौर पर रतन टाटा के नाम से जाना जाता है. वैसे तो रतन टाटा को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है. भारत के सबसे बड़े और सम्मानित उद्योगपतियों की लिस्ट में शुमार रतन टाटा के बारे में हर कोई जानता है. रतन टाटा टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन है. राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी परोपकारी गतिविधियों के लिए भी जाने जाते हैं. राष्ट्र निर्माण में उनके अतुलनीय योगदान के लिए रतन टाटा को भारत के दो सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार - पद्म विभूषण (2008) और पद्म भूषण (2000) से सम्मानित किया गया है.

टाटा समूह के बिजनेस को बढ़ाने में दिया अपना बड़ा योगदान
रतन टाटा ने 1990 से लेकर 2012 तक टाटा समूह के बिजनेस को बढ़ाने में अपना पूरा योगदान दिया है. बता दें, टाटा समूह के अंदर 100 से ज्यादा कंपनियां है जिसमें सुई से लेकर 5 स्टार होटल, चाय, स्टील और नैनो कार से लेकर हवाई जहाज तक सब कुछ मिलता है. बता दें, रतन टाटा का जन्म 28 नवंबर 1937 को गुजरात के सूरत में टाटा ग्रूप के फाउंडर जमशेदजी टाटा के घर हुआ था. टाटा समूह के फाउंडर जमशेदजी टाटा, रतन टाटा के परदादा हैं. उनके माता-पिता 1948 में अलग हो गए जब वह केवल दस वर्ष के थे और इसलिए उनका पालन-पोषण उनकी दादी, रतनजी टाटा की पत्नी नवाजबाई टाटा ने किया.

जन्मदिन मुबारक हो रतन टाटा

प्यार होने के बाद भी ताउम्र रहे अविवाहित, क्या थी मजबूरी?
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि रतन टाटा अविवाहित हैं. जी हां, दिलचस्प बात यह है कि वह चार बार शादी करने के करीब आए, लेकिन विभिन्न कारणों से शादी नहीं कर सके. उन्होंने एक बार स्वीकार किया था कि जब वह लॉस एंजिल्स में काम कर रहे थे, तब एक समय ऐसा आया जब उन्हें प्यार हो गया था. लेकिन 1962 के भारत-चीन युद्ध के कारण लड़की के माता-पिता उसे भारत भेजने के विरोध में थे. जिसके बाद उन्होंने कभी शादी नहीं की.

ऐसे शुरु हुआ करियर
रतन टाटा ने 8वीं कक्षा तक कैंपियन स्कूल मुंबई में पढ़ाई की, उसके बाद कैथेड्रल और जॉन कॉनन स्कूल, मुंबई और बिशप कॉटन स्कूल शिमला में पढ़ाई की. उन्होंने 1955 में न्यूयॉर्क शहर के रिवरडेल कंट्री स्कूल से डिप्लोमा प्राप्त किया. रतन टाटा ने साल 1961 में टाटा ग्रूप के साथ अपना करियर शुरू किया और उनकी पहली नौकरी टाटा स्टील के शॉप फ्लोर पर ऑपरेशन मैनेजमेंट के तौर पर हुआ. बाद में वह अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए हार्वर्ड बिजनेस स्कूल चले गए. रतन टाटा कॉर्नेल यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ आर्किटेक्चर के पूर्व छात्र भी रह चुके हैं.

टाटा समूह के बिजनेस को दिलाई पूरी दुनिया में ख्याति
वहीं, अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद ने टाटा समूह के बिजनेस को संभाल लिया. उन्होंने, 2004 में टीसीएस को लॉन्च किया. रतन टाटा नेतृत्व में, ब्रिटिश ऑटोमोटिव कंपनी जगुआर, लैंड रोवर, एंग्लो-डच स्टील निर्माता कोरस और ब्रिटिश चाय फर्म Tetley के ऐतिहासिक विलय के बाद टाटा ग्रूप को पूरी दुनिया में पहचान मिली. 2009 में रतन टाटा ने सबसे सस्ती कार बनाने का वादा किया, जिसे भारत का मिडिल क्लास फैमिली खरीद सके. उन्होंने अपना वादा पूरा किया और 1 लाख रुपये में टाटा नैनो लॉन्च की, जिसकी पूरी दुनिया में खूब चर्चा हुई.

अपनी परोपकारिता के लिए विदेशों में मशहूर हैं रतन टाटा
रतन टाटा अपनी परोपकारिता के लिए भी जाने जाते हैं. रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा समूह ने भारत के स्नातक छात्रों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए कॉर्नेल विश्वविद्यालय में 28 मिलियन डॉलर का टाटा छात्रवृत्ति कोष स्थापित किया. 2010 में, टाटा समूह ने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल (एचबीएस) में एक कार्यकारी केंद्र बनाने के लिए 50 मिलियन डॉलर का दान दिया, जहां उन्होंने स्नातक प्रशिक्षण प्राप्त किया, जिसे टाटा हॉल नाम दिया गया.

2014 में, टाटा समूह ने आईआईटी-बॉम्बे को 95 करोड़ रुपये का दान दिया और सीमित संसाधनों वाले लोगों और समुदायों की आवश्यकताओं के अनुकूल डिजाइन और इंजीनियरिंग सिद्धांतों को विकसित करने के लिए Tata Center for Technology and Design (टीसीटीडी) का गठन किया.

जमशेदजी टाटा की परंपरा को अभी तक रखा है जारी
वहीं, बॉम्बे हाउस में बारिश के मौसम में आवारा कुत्तों को अंदर आने देने का इतिहास जमशेदजी टाटा के समय से है. रतन टाटा ने इस परंपरा को जारी रखा. उनके बॉम्बे हाउस मुख्यालय में हाल के नवीनीकरण के बाद आवारा कुत्तों के लिए एक कुत्ताघर है. यह केनेल भोजन, पानी, खिलौने और एक खेल क्षेत्र से सुसज्जित है.

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Last Updated : Dec 28, 2023, 2:07 PM IST

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