हैदराबाद : होम लोन प्राप्त करने के लिए आवेदकों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. लेकिन इनमें से अधिकांश आवेदकों को क्रेडिट स्कोर का सामना करना पड़ता है. बहुत सारे आवेदक इस पैमाने पर खरा नहीं उतर पाते हैं, जिसकी वजह से उन्हें लोन मिलने में दिक्कत आती है. दरअसल, क्रेडिट स्कोर आपके समग्र वित्तीय अनुशासन का सूचकांक है. यदि आपका क्रेडिट स्कोर अधिक है, तो समझिए लोन के लिए आपकी आधी लड़ाई तो यहीं खत्म हो गई.
300 से 900 का स्कोर कार्ड ऋण चुकाने की आपकी क्षमता को दर्शाता है. यह सभी महत्वपूर्ण क्रेडिट स्कोर तय करने का आधार पुनर्भुगतान में किसी का ट्रैक रिकॉर्ड है. क्रेडिट स्कोर पर एक नजर डालने से बैंक और वित्तीय संस्थान संभावित कर्जदारों के बारे में आसानी से अंदाजा लगा लेते हैं. अब आप यह भी समझिए कि आप अपना क्रेडिट स्कोर किस तरह से बढ़ा सकते हैं.
समय पर पुनर्भुगतान का आपका इतिहास आपके क्रेडिट स्कोर को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. भुगतान अंतिम तिथि से पहले किया जाना चाहिए और कोई भी देरी प्रतिकूल प्रभाव छोड़ेगी. अपने क्रेडिट कार्ड की सीमा पर नजर रखें और कभी भी 30 प्रतिशत से अधिक खर्च न करें. एक बार जब आप अपने क्रेडिट कार्ड से अधिक खर्च कर देते हैं, तो वित्तीय संस्थान यह निष्कर्ष निकालेंगे कि आप ऋण पर निर्भर हैं. क्रेडिट कार्ड बिलों का भुगतान नियमित रूप से किया जाना चाहिए. समय पर पुनर्भुगतान आपके वित्तीय अनुशासन के बारे में बताएगा जिससे आपका क्रेडिट स्कोर बढ़ेगा.
जीरो कॉलेट्रल लोन (यानी अनसिक्योर्ड लोन- जिसमें बिना किसी संपत्ति का कागज जमा किए ही लोन का मिलना शामिल है). अगर आप सिर्फ जीरो कॉलेट्रल लोन हासिल करते हैं, तो भी आपके क्रेडिट स्कोर पर प्रतिकूल असर पड़ता है. अगर आप बेहतर क्रेडिट स्कोर प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको जमानत आधारित लोन भी लेना चाहिए. यानी वैसा लोन, जिसके बदले आपने कोई कागज बैंक में जमा करवाए हैं. इससे बैंक आपके पुनर्भुगतान क्षमता के बारे में आकलन करता है. वित्तीय संस्थानों का आप पर विश्वास बढ़ेगा. इन दोनों कैटेगरी में लोन लेने से बैंकों का आप पर भरोसा बढ़ता है. मिश्रित लोन बहुत हद तक आपके स्कोर के नकारात्मक प्रभाव को भी कम कर देता है.