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Child Insurance Policies : चाहतें हैं बच्चें का भविष्य हो आर्थिक रुप से सुरक्षित, करें ये काम

अगर परिवार में कमाने वाले को कुछ हो जाता है तो भविष्य की चिंताएं बढ़ जाती है. ऐसे में बच्चे की भविष्य की जरूरतें जैसे हायर एजुकेशन, शादी और अन्य जरूरतों को पूरी करने के लिए क्या करें, जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर...

Child Insurance Policies
बाल बीमा नीतियां

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Published : May 17, 2023, 5:32 PM IST

हैदराबाद : समय के साथ टॉप कॉलेजों या संस्थानों से अच्छी शिक्षा लेने की होड़ बढ़ती जा रही है. ऐसे में हर मां-बाप चाहते हैं कि उनके बच्चों का भविष्य सुनहरा बने. लेकिन हायर एजुकेशन की लागत दिन पर दिन बढ़ती जा रही है. ऐसे में गरीब मां-बाप क्या करें. इसलिए जरूरी है कि बच्चों की भविष्य की वित्तीय जरूरतों के लिए बीमा सुरक्षा प्रदान की जाए ताकि कोई समस्या न हो.

बच्चों के हायर एजुकेशन के लिए PPF, म्यूचुअल फंड, शेयर, रियल एस्टेट, गोल्ड आदि में इंवेस्ट करें. लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी चुनें. इसके अलावा कुछ बीमा कंपनी बच्चों की जरूरत के हिसाब से स्पेशल पॉलिसी चलाते हैं, जो सामान्य बीमा पॉलिसियों की तुलना में थोड़े अलग होते हैं. इन लोन्स में एजुकेशन लोन, विवाह और अन्य खर्चों के लिए लोन शामिल है.

एजुकेशन लोन सामान्य बीमा पॉलिसियों की तुलना में थोड़ी अलग होती है. इसमें पॉलिसी होल्डर को दोगुना मुआवजा मिलता है. बीमाधारक को कुछ होने पर पॉलिसी तुरंत राशि का भुगतान करती है. उसके बाद, बीमा कंपनी पॉलिसी मैच्योर होने तक पॉलिसीधारक की ओर से प्रीमियम का भुगतान करती है. इसका मतलब है कि पॉलिसी जारी रहेगी. उसके बाद, यह एक बार फिर अवधि समाप्त होते ही नामांकित व्यक्ति को पॉलिसी मूल्य का भुगतान कर देगा. यह दो बच्चों के विभिन्न चरणों में आवश्यक धन की उपलब्धता सुनिश्चित करेगा. इनमें से अधिकतर पॉलिसियों में, बच्चों की अलग- अलग जरूरतों- हायर एजुकेशन, विवाह और अन्य खर्चों के अनुसार अवधि निर्धारित की जाती है.

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एंडोमेंट प्लान और यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस पॉलिसी (ULIP) भी बच्चों की पॉलिसी में उपलब्ध हैं. जो लोग कम जोखिम लेना चाहते हैं, वे एंडोमेंट पॉलिसी देख सकते हैं. इसमें बीमा कंपनी बोनस और लॉयल्टी एडिशन देती है. रिटर्न 5-6 फीसदी तक हो सकता है. यूलिप निवेश इक्विटी में होने की अधिक संभावना है. यूलिप में इक्विटी फंड का चयन तब किया जा सकता है, जब बच्चों को अगले 10 सालों के बाद ही पैसे की जरूरत होने की उम्मीद हो.

भविष्य को ध्यान में रखते हुए बचत और निवेश को प्राथमिकता देनी चाहिए. शादी के बाद अपने आश्रितों को आर्थिक सुरक्षा देने की योजना बनाएं. खासकर बच्चों के जन्म के बाद उनकी 21 साल की आर्थिक जरूरतों के लिए सुरक्षा मुहैया कराई जानी चाहिए. अकेले निवेश से सब संभव नहीं हो सकता है. अप्रत्याशित स्थितियों का अनुमान लगाएं, उसके अनुसार सोचें और निर्णय लें.

लोग अपनी सालाना आय का कम से कम 10-12 फीसदी लाइफ इंश्योरेंस में निवेश करें. 15-20 फीसदी या उससे अधिक बच्चों की भविष्य की जरूरतों के लिए निवेश किया जाना चाहिए. तब कहीं जाकर कोई व्यक्ति भविष्य में आर्थिक रुप से मजबूत बन सकता है.

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