हैदराबाद : विदेशों में पढ़ने की इच्छा तो सबकी होती है, लेकिन उसके लिए आसान लोन कैसे प्राप्त करें, इसके बारे में उन्हें ज्यादा जानकारी नहीं होती है. कई बार वे लोन तो प्राप्त कर लेते हैं, लेकिन उन्हें चुकाना मुश्किल हो जाता है. साथ ही हर साल एजुकेशन की लागत भी बढ़ती जा रही है, इसने इस समस्या को और अधिक जटिल बना दिया है. विदेशी विश्वविद्यालयों में विशेष रूप से विकसित देशों में शिक्षा में बहुत अधिक खर्च होता है. इस पृष्ठभूमि में, माता-पिता अपने बच्चों के भविष्य के लिए अपनी मेहनत की कमाई और बचत को खर्च कर देते हैं. बाकी जो राशि बचती है, उसके लिए वह बैंक से लोन प्राप्त करते हैं. लेकिन लोन हासिल करने से पहले किन-किन बातों का ध्यान रखें, इस पर वे गंभीरता से विचार नहीं करते हैं.
हाल के वर्षों में भारत से विदेश जाने वाले बच्चों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है. साथ ही, आने वाले वर्षों में विदेशों में उच्च शिक्षा की लागत में भारी वृद्धि होने की उम्मीद है. कुछ सर्वेक्षणों के अनुसार, भारतीय छात्र विदेशी शिक्षा पर 28 अरब डॉलर खर्च कर रहे हैं. 2024 तक यह 80 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा.
हालांकि विदेशी छात्रों को स्कॉलरशिप और वर्क परमिट मिलते हैं, लेकिन उनमें से ज्यादातर को पात्रता नहीं मिलती है. ऐसे में बैंक लोन की आवश्यकता सबको होती है. इसे पूरा करने के लिए, भारत सरकार, भारतीय रिजर्व बैंक और भारतीय बैंक संघ ने एक एकीकृत योजना तैयार की है. इसके अनुसार, कॉलेज, छात्रावास, परीक्षा, प्रयोगशाला, किताबें, उपकरण, जमानत राशि, भवन निधि और वापसी योग्य जमा से संबंधित शुल्क को कवर करने के लिए विदेशी शिक्षा लोन प्राप्त किया जा सकता है.
अब तक, बैंक बिना किसी सिक्यूरिटी की मांग के क्रेडिट गारंटी फंड से 7.50 लाख रुपये तक के शिक्षा ऋण को मंजूरी दे रहे हैं. इस सीमा को बढ़ाकर 10 लाख रुपये करने का प्रस्ताव है. एसबीआई, एचडीएफसी और अन्य बैंक अपने द्वारा अनुमोदित विदेशी विश्वविद्यालयों में शामिल होने वाले छात्रों के लिए बिना सिक्यूरिटी के 40 लाख रुपये से 50 लाख रुपये का ऋण दे रहे हैं.